क़िस्सा, 1879 में अंग्रेज़ों और अफ़गानों के उस युद्ध का जब एक अफ़सर को हुआ था ईश्वरीय शक्ति का एहसास

Kratika Nigam

मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा

शिव से नहीं बड़ा कोई दूजा
वैसे तो सभी भगवान की पूजा की जाती है,लेकिन हर किसी की आस्था एक भगवान में ज़्यादा होती है, उन्हीं से वो सब कहते हैं और ये विश्वास होता है कि वो सुनते भी हैं. भगवान शिव में आस्था रखने वाले लोग बहुत ही कम होते हैं, लेकिन जो लोग होते हैं वो तरह से उन्हीं में मग्न हो जाते हैं और किी भी मुसीबत में उन्हीं को याद करते हैं. मगर एक ऐसे कर्नल भी थे, जो भारत के नहीं थे, जिन्हें शायद शिवजी की शक्ति पता भी नहीं होगी, लेकिन शिव जी ने उनकी जान बचाई ऐसा उनका कहना है. 

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दरअसल, 1879 में जब अग्रेंज़ों और अफ़गानियों के बीच युद्ध चल रहा था, तब अंग्रेज़ अफ़सर लेफ़्टिनेंट Colonel C. Martin की तैनाती मध्य प्रदेश के आगरा-मालवा में थी. इसी के चलते कर्नल मार्टिन को सेना का नेतृत्व करने के लिए अफ़गानिस्तान भेजा गया. हालांकि, ये उस समय की बात है जब संपर्क करने के लिए पत्र के अलावा कोई और साधन नहीं था, तो कर्नल मार्टिन भी मालवा में रह रही अपनी पत्नी को रोज़ पत्र लिखते थे और बताते थे कि वो ठीक हैं.

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कई महीनों तक पत्र का सिलसिला रोज़ चलता रहा, लेकिन कुछ दिन बाद पत्र आने बंद हो गए और वो कर्नल मार्टिन के लिए परेशान होने लग गईं क्योंकि उन्हें कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था, वो ठीक हैं या युद्ध में मारे गए. इसी दौरान एक दिन उनकी पत्नी कहीं जा रही थीं, तभी उन्हें रास्ते में भगवान शिव का मंदिर दिखा, जहां आरती हो रही थी वो वहां चली गईं. मंदिर पहुंच कर उन्होंने पुजारी से पूछा कि ये कौन हैं, तो उन्होंने बताा कि भगवान शिव हैं और इनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है, ये जो चाहें वो कर सकते हैं.

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पुजारी से शिव जी की महिमा के बारे में सुनकर उनहोंने शिव जी से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की और 11 दिनों का अनुष्ठान भी करवाया. उनके इस अनुष्ठान का चमत्कार ये हुआ कि ठीक 11वें दिन कर्नल मार्टिन का पत्र आया, जिसमें उन्होंने एक चौंका देने वाली घटना के बारे में बताया.

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उन्होंने पत्र में लिखा,

हमारी सेना अफ़गानों से घिर गई थी और कई सैनिक शहीद भी हो गए थे. हमें बचने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे. तभी मैंने आंखें बंद की और भगवान को याद किया और अचानक से पता नहीं कहां से एक व्यक्ति आया, जिसके लंबे-लंबे बाल थे और हाथ में त्रिशूल था. उसे देखते ही अफ़गानी सैनिक तुरंत वहां से भाग खड़े हुए. इस तरह कर्नल मार्टिन की जान बची और उसके बाद वो अपने घर अपनी पत्नी के पास आए.

-कर्नल मार्टिन

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जब कर्नल मार्टिन घर लौट के आए तो उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने भगवान शिव से उनकी रक्षा करने के लिए प्रार्थना की थी और अनुष्ठान भी कराया था. तब वो उन्हें भगवान शव के मंदिर लेकर गईं वहां भगवान शिव की मूर्ति देखकर कर्नल मार्टिन हैरान रह गए और कहा ये तो वैसे ही प्रतिमा है जो व्यक्ति हमें युद्ध के दौरान बचाने आया था.

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इस पूरी घटना के बाद कर्न मार्टन का शिव जी पर विश्वास इतना ज़्यादा हो गया कि उन्होंने 1883 में 15 हज़ार रुपये लगाकर शिव जी के मंदिर जीर्णोधार करवाया और दोनों पति-पत्नी इस वादे के साथ इंग्लैंड वापस चले गए कि वे वहां अपने घर पर रोज़ भगवान शिव की पूजा करेंगे.

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