भांग: किसी के लिए नशा तो किसी के लिए दवा, जानिए इससे जुड़ी 7 दिलचस्प बातें

J P Gupta

भांग(Cannabis) को लेकर दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग विचार हैं. कोई इसे पेन किलर, कोई इसे प्रसाद तो कोई इसे नशीले पदार्थ के रूप में देखता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 2.5 प्रतिशत लोग भांग का सेवन करते हैं. दुनिया में पाए जाने वाले शायद ही किसी और पौधे के बारे इतनी सारी कहानियां होंगी.  



चलिए आज मिलकर जानते हैं भांग से जुड़े कुछ मिथक और कहानियों के बारे में…  

ये भी पढ़ें:  एक ही पौधे से बनने वाले भांग, गांजा और चरस में क्या अंतर होता है, जानना चाहते हो?

1. फ़्रांसीसी सैनिक चरस लेकर लौटे

गांजे या चरस का इस्तेमाल यूरोप में पुराना नहीं है. 1798 में नेपोलियन के मिस्र अभियान से जब फ्रांसीसी सैनिक लौटे तो साथ भांग(Cannabis) के मादा पौधे से निकली चरस ले आए. यहीं से इसका इस्तेमाल यूरोप में बढ़ा. नेपोलियन ने मिस्र में चरस बंद कर दी, लेकिन पेरिस में इसके शौकीन बढ़ते गए. 

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2. रहस्यमयी पौधा 

नशीली भांग की कई प्रजातियां हैं. जर्मनी में इसे नियंत्रित तरीके से उगाया जाता है. 200 साल पहले तक जहां-तहां नज़र आ जाने वाली भांग अब नज़र नहीं आती.  

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3. पीरियड्स के दर्द के लिए सुझाया गया 

1990 से ही ब्रिटेन में भांग(Cannabis) को वैध करने की मांग उठ रही है. एक समय में ऐसी अफ़वाह भी थी कि महारानी विक्टोरिया को पीरियड्स के दर्द से राहत देने के लिए भांग का इस्तेमाल किया गया था. इसका इकलौता सबूत 1890 में उनके निजी चिकित्सक रहे जॉन रसेल रेनॉल्ड्स के एक मेडिकल जर्नल में लिखे नोट से मिलता है जहां उन्होंने भांग को ‘कई परिस्थितियों’ में “बहुत महत्व” का बताया था.

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4. अमेरिका की आज़ादी के घोषणापत्र का भांग से रिश्ता

ऐसी किवदंती है कि अमेरिका का “आज़ादी का घोषणापत्र” भांग से बने काग़ज़ पर लिखा गया था. ये जानकारी सही नहीं है. ये दस्तावेज चर्मपत्र पर लिखा गया था, जो आज भी वॉशिंगटन डीसी के राष्ट्रीय संग्रहालय में मौजूद है. हालांकि ऐसा माना जाता है कि पहले दो ड्राफ़्ट भांग से बने काग़ज पर लिखे गए थे.

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5. भांग के डर से बनाई गई फ़िल्म

“रीफ़र मैडनेस” नाम की फ़िल्म साल 1936 में बनी थी. इस प्रोपेगेंडा फ़िल्म के लिए अमेरिका के एक चर्च ग्रुप ने पैसा दिया था. शुरुआत में इसका नाम- ‘टेल योर चिलड्रन’ रखा गया. इसमें दिखाया गया है कि भांग इस्तेमाल करने वाला कैसे अचानक इसका आदी हो जाता है और फिर पागलपन जैसी हरकतें करने लगता है. ग़लत धारणाएं और बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई बातें उस वक़्त के समाज को डराने की कोशिशें बयान करती हैं.

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6. भांग और नस्लवाद

1930 के दशक में अमेरिकी ड्रग इन्फ़ोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख हैरी आंस्लिंगर नस्लवादी थे. आंस्लिंगर ने भांग पर रोक लगाने की कोशिश की. उस वक़्त भांग फूंकने वालों में कथित तौर पर मैक्सिकन और अफ़्रीकी अमेरिकी अधिक थे. आंस्लिंगर ने एक बार कहा था कि “भांग पीने के बाद अश्वेत लोग सोचते हैं कि वो श्वेत लोगों से ज़्यादा अच्छे हैं.” क़रीब 30 साल तक हैरी आंस्लिंगर का प्रभाव अमेरिका की ड्रग पॉलिसी पर रहा.

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7. भांग और धर्म

बाकी संस्कृतियां शायद इस बारे में ज़्यादा खुलापन रखती हैं. ऐसी कथाएं हैं कि हिंदू देवता भगवान शिव ने सब दुनियावी पदार्थ छोड़ दिए थे, बस भांग नहीं छोड़ी. कुछ लोग भांग को शिव के प्रसाद के तौर पर देखते हैं.

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Source: DW

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