Types Of Drugs: गांजा से लेकर भांग तक, जानिए कैसे बनते हैं ये 7 नशीले पदार्थ

Kratika Nigam

Types Of Drugs: भांग, चरस, गांजा और न जाने कितने नशीले पदार्थ इस दुनिया में मौजूद हैं. सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि, इन सभी नशीले पदार्थों को ड्रग्स क्यों कहा जाता है. ड्रग्स कोई अलग नशीला पदार्थ नहीं होता है. मगर ये सब नशीले पदार्थ एक-दूसरे की ही मदद से बनते हैं. कोई पत्ती से तो कोई फूल से बनता है. हालांकि, इनके सेवन का तरीका ज़रूर अलग है. भांग को ठंडाई में मिलाकर या उसकी गोली बनाकर लेते हैं, तो गांजा को सिगरेट या बीड़ी में भरकर पिया जाता है.

इसलिए सबसे पहले जानते हैं कि आख़िर ये नशीले पदार्थ बनते कैसे हैं?

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1. भांग

भांग का पौधा होता है, जिसमें नर और मादा दो तरह की पत्ती होती है. इसमें नर पत्ती को सुखाकर भांग तैयार की जाती है. इसका वानस्पतिक नाम Cannabis indica है. उत्तर भारत में इसका प्रयोग स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है. इसके पौधे ज़्यादातर उत्तर प्रदेशबिहार और पश्चिम बंगाल में उगते हैं और ये 3 से 8 फुट ऊंचे होते हैं.

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2. चरस या हशीश

चरस को ही हशीश या हैश भी कहते हैं. हशीश तेल (Hash oil) ओलियोरेसिन है जो की मारिजुआना (Marijuana) और भांग के पौधों को निचोड़कर निकाला जाता है. ये गहरे रंग का गाढ़ा लिक्विड होता है, जो कि हवा के प्रभाव में आने पर और भी गाढ़ा हो जाता है. ये भांग के पौधों से सबसे शक्तिशाली सामग्री ट्राइकोम (Trichomes) को इकट्ठा और संपीड़ित करके उत्पादित किया जाता है. मारिजुआना एक हरा, भूरा या ग्रे रंग का मिश्रण होता है, जो Cannabis Sativa पौधे की सूखे, कटे हुए पत्तों, तनों, बीजों और फूलों से मिलकर बनता है.

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3. गांजा

गांजा भी उसी पौधे से बनता है जिससे भांग बनती है. फ़र्क़ इतना है कि भांग पत्तियों से बनती है और गांजा मादा भांग के पौधे के फूल आस-पास की पत्तियों और तनों को पीसकर और सुखाकर बनता है. इसको जलाकर या सुखाकर सेवन किया जाता है. गांजा का सेवन लोग सिगरेट में भर कर भी करते हैं. गांजे के पौधे का इस्तेमाल तनाव के लिए भी किया जाता है. इसके अलावा, फ़्रांस के लोग आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए गांजा का सेवन करते हैं. दुनिया का सबसे बेहतरीन गांजा मलाना हिल्स हिमाचल में उगता है.

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4. अफ़ीम

अफ़ीम को इंग्लिश में Opium कहते हैं. इसका वनस्पतिक नाम Papaver Somniferum है. अफ़ीम को इसके पौधे से निकलने वाले दूध को सुखाकर बनाया जाता है. इसके सेवन से नशा होता है. इस दूध को निकालने के लिए पौधे के कच्चे ‘फल’ में एक चीरा लगाया जाता है, जिससे दूध निकलने लगता है. फिर इसे सुखाया जाता है. सूखने पर जब ये गाढ़ा हो जाता है तो इसे अफ़ीम कहते हैं. ये दूध चिपचिपा होता है.

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5. हेरोइन

अफीम में 12% तक मार्फ़ीन (Morphine) पायी जाती है. अफ़ीम और एसिटिक को मिलाकर हेरोइन (Heroin) नामक ड्रग तैयार किया जाता है. डायमार्फ़िन (Diamorphine) का इस्तेमाल दवा के क्षेत्र में पेनकिलर के रूप में भी किया जाता है. इसे डाई एसिटिल भी कहा जाता है.

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6. स्मैक

स्मैक कोई नेचुरल प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि इसे मशीन के ज़रिए अफ़ीम से ही बनाते हैं. इसे Black Tar Heroin भी कहा जाता है. दरअसल, अफ़ीम में कई तरह के नशीले पदार्थ मिलाकर स्मैक बनती है.

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7. ब्राउन शुगर

ब्राउन शुगर को भी अफ़ीम से बनाया जाता है. इसमें 20% हेरोइन होती है और स्मैक भी मिलाई जाती है. इसका केमिकल फ़ार्मूला डाईएसिटिल मार्फ़िन है. इसका ब्राउन कलर हेरोइन की क्वालिटी ख़राब होने पर आता है क्योंकि हेरोईन अच्छी क्वालिटी न होने पर इसका कलर ब्राउन होता है White नहीं. इसी कमी की वजह से इसे ब्राउन शुगर कहते हैं.

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इस आर्टिकल को सिर्फ़ एक जानकारी के तौर पर लीजिएगा. नशे की लत बहुत बुरी होती है इसलिए नशीले पदार्थों से कोसों दूरी बनाकर रखें.

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