बारिश में तो अनगिनत बार भीगे होगे. इसकी बूंदों से खेलना भी सबको अच्छा लगता है. बारिश की सुबह में फूलों पर पड़ी बूंदें से ख़ूबसूरत कुछ और है ही नहीं. क्यों सही कहा न? बारिश की तारीफ़ जितनी की जाए वो तो कम है इसलिए ख़ुद को रोकते हुए सीधे मुद्दे पर आती हूं और बताती हूं कि बारिश के बारे में इतने कसीदे क्यों पढ़ रही हूं? बारिश की बूंद हाथ में कई बार ली होगी और फूलों पर भी जमी हुई देखी होगी, लेकिन कभी सोचा है ये गोल क्यों होती है? इस रहस्य से पर्दा अब उठेगा.
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दरअसल, बचपन में फ़िज़िक्स में पृष्ठ तनाव (Surface Tension) का चैप्टर तो पढ़ा ही होगा, बारिश की बूंद के गोल होने के पीछे Surface Tension का सिद्धांत ही है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है. बारिश का पानी ही नहीं, बल्कि कोई भी लिक्विड चीज़ जो ऊंचाई से धरती पर आकर गिरेगी वो बूंदों में बदल जाती है.आइए जान लेते हैं पृष्ठ तनाव (Surface Tension) क्या होता है?
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इसके बारे में मध्यप्रदेश के सीधी में रहने वाले इंजीनियर संतोष कुमार ने बहुत ही आसान शब्दों में बताया है कि
पृष्ठ तनाव किसी द्रव की सतह का वो गुण है जिसके कारण ये प्रत्यास्थ ((Elasticity) की तरह फ़ैल जाती है या सिकुड़ जाती है. द्रव के इस गुण को किसी द्रव की गोलाकार बूंदों के पास और साबुन के बुलबुलों के पास भली भांति देखा जा सकता है.
ये है इसका वैज्ञानिक कारण
गुरुत्वाकर्षण की वजह से सबसे न्यूनतम आकार गोलाकार होता है. इसलिए जैसे-जैसे बारिश का पानी पृथ्वी के पास आता है वो गोल आकार की हो जती जाती है. क्योंकि गोलाकार का क्षेत्रफल भी कम होता है जिसकी वजह से बारिश की बूंदें गोल हो जाती हैं.