Facts About Pink city Jaipur: अरावली के पहाड़ों से घिरा, कला-संस्कृति और ख़ूबसूरत दृश्यों को समेटे जयपुर हर इंसान को अपनी ओर खींचता है. इस शहर की ख़ूबसूरती यहां के क़िले और महलों में देखने को मिलती है. आमेर का क़िला हो या नाहरगढ़ का, चौकी धाणी हो या हवा महल, जयपुर की बाज़ारें हो या वहां की लाख की चूड़ियां सबमें जयपुर की संस्कृति झलकती है. पिछले 295 सालों से जयपुर इस संस्कृति और सभ्यता को बनाए रखे हैं.
Facts About Pink city Jaipur
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आइए, राजस्थान की इस गुलाबी नगरी के बारे में कुछ बातें जानते हैं, जो ये शहर कई सालों से अपने अंदर समेटे है.
जयपुर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है, जिसे 18 नवंबर 1727 को कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने बंगाल के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से बसाया था. दरअसल, महाराजा चूने और मिट्टी से बना एक शहर बसाना चाहते थे, जिसके लिए नाहरगढ़ क़िले के नीचे की 100 एकड़ ज़मीन चुनी गई क्योंकि उस समय आमेर कच्छवाहा वंशजों की राजधानी हुआ करता था. वो चाहते थे कि इस शहर में सुंदर इमारतें, सड़कें और हर जगह का अपना नाम हो. इनके इस सपने को पूरा करने के लिए कई वास्तुकार के ज्ञाता लग गए.
विद्याधर ने इस शहर में नौ ग्रहों के आधार पर नौ चौकड़ियां बसाईं. इस शहर को चारों तरफ़ से सूर्य के सात घोड़ों पर आधारित सात दरवाज़ों और परकोटों को बीच बसाया गया है. महाराजा भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए एक गेट का नाम कृष्णपोल रखा गया , जो अब अजमेरी गेट के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा, शहर के बीच चौकोर तालाब बनवाया, जिसे तालकटोरा कहा जाता है. साथ ही, जयनिवास उद्यान के सामने राजमहल बनवाया गया, जो सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है.
दुनियाभर में अपनी पारंपरिक पोशाकों, गर्मजोशी से खातिरदारी और सांस्कृतिक चीज़ों के लिए फ़ेमस जयपुर वास्तु कला, और ऐतिहासिक विरासत को समेटे है. इस शहर का निर्माण वास्तुशास्त्र के हिसाब से किया गया है क्योंकि महाराजा सवाई जयसिंह को खगोलविज्ञान का अच्छा ज्ञान था. इसे दुनियाभर में सांस्कृतिक राजधानी, Pinkcity, गुलाबी शहर, गुलाबी नगरी और कला नगरी के नामों से भी जाना जाता है.
इतना ही नहीं इस शहर की पहचान यहां के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी ढोलपुरी पत्थरों से भी होती है. इसके लिए एक कहावत मशहूर है, नीचे मिट्टी ऊपर चूना, जयपुर शहर नगीना. इन भवनों को इतने सही ढंग से बनाने और बसाने का श्रेय खगोल विज्ञानी महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को जाता है. जयपुर शहर का नाम पहले सवाई जैपोर (Jeypore) रखा गया था, लेकिन बोलचाल की भाषा में आसान बनाने के लिए इसे जयपुर कहा जाने लगा.
जयपुर की ऐतिहासिक इमारतों की बात करें तो जयपुर की ओल्ड सिटी, आमेर फ़ोर्ट और जंतर मंतर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट में शामिल किया गया है. वहीं, हवामहल का निर्माण 1799 ई. में शाही घरानों की महिलाओं के लिए किया गया था, ताकि वो यहां से हर रैली को आसानी से देख सकें. हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं.
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आपको बता दें, जयपुर का नाम पिंकसिटी क्यों पड़ा? दरअसल, 1876 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स और महारानी विक्टोरिया के आने पर महाराजा सवाईसिंह ने उनके स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया था बस तभी से इसका नाम पिंक सिटी यानी गुलाबी शहर पड़ गया.