अगर आपके अंदर अपने सपने को सच करने का जज़्बा है तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. इसके लिए आपकी उम्र, क़द या फिर रंग-रूप नहीं, बल्कि क़ाबिलियत मायने रखती है. हमारे देश में आज भी अक्सर छोटे कद के लोगों का मज़ाक बनाया जाता है, उन्हें बौना, छोटू, ठिगना, छोटो सिक्का और भी न जाने कितने नामों से पुकारा जाता है. लेकिन लोग उनकी क़ाबिलियत को पहचान नहीं पाते.
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बात छोटे कद की हो रही है तो आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स से मिलाने जा रहे हैं जो भारत के सबसे छोटे क़द के एडवोकेट हैं. इनका नाम प्रमोद यादव है. बरेली के रहने वाले 45 वर्षीय प्रमोद का कद 3 फ़ुट 5 इंच है, लेकिन समाज में उनका क़द काफ़ी बड़ा है.
सुने लोगों के ताने, मेहनत कर बने एडवोकेट
प्रमोद यादव को बचपन से लेकर आज तक छोटे क़द के चलते लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं. स्कूल से लेकर कॉलेज तक उन्हें काफी बुली भी किया जाता था, लेकिन वो अपने हाज़िर जवाबी से सामने वाले को हैरान कर देते थे. प्रमोद ने दुनिया की इस ओछी सोच को दरकिनार करते हुए साबित किया कि मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाए तो मंज़िल आसान हो जाती है.
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बचपन से ही नेता बनने की थी चाह
प्रमोद को बचपन से ही नेता बनने की चाह थी. बरेली के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटर तक की पढ़ाई की. इसके बाद बरेली कॉलेज से ही एमए और एलएलबी करने के बाद वो एडवोकेट बन गए. प्रमोद आज न केवल एडवोकेट, बल्कि समाजवादी पार्टी के बड़े नेता भी हैं. चुनाव प्रचार के दौरान वो पार्टी के स्टार प्रचारक होते हैं.
मुलायम सिंह से मिलने का बाद बन गए नेता
प्रमोद यादव ने बताया कि, साल 2003 में मुलायम सिंह बरेली आए तब मेरी उनसे पहली बार मुलाक़ात हुई थी. इस दौरान मैंने उनसे कहा कि मैं पार्टी की सेवा करना चाहता हूं. इस पर नेता जी का कहना था कि सेवा करना चाहते हो तो पहले पार्टी ज्वाइन करो, इसके बाद मैंने सपा ज्वाइन कर ली. 10 साल पहले चुनाव प्रचार के दौरान मेरी मुलाक़ात अखिलेश यादव से हुई. इस दौरान वो मेरे काम से काफ़ी प्रभावित हुए.
इसके बाद मुझे उन्होंने मुझे चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी दी और मैं पार्टी के लिए प्रचार करने लगा. पिछले 18 सालों से मैं पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा रह चुका हूं. पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के साथ ही मैं एडवोकेट भी था. ऐसे में मेरे काम से ख़ुश होकर पार्टी ने मुझे उपभोक्ता महासभा का अध्यक्ष बना दिया.
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45 साल के प्रमोद से जब शादी करने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था भले ही वो कुंवारे हैं, लेकिन उनकी शादी ‘समाजवादी पार्टी’ से हो गई है. अब किसी लड़की के बारे में सोचना भी उनके लिए पाप है. अखिलेश यादव को को देश का पीएम बनाने के लिए उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य रखने का व्रत लिया है. अब इसी के साथ जीना और मरना है.
प्रमोद यादव हाल ही में गाज़ीपुर में ‘किसान आंदोलन’ को समर्थन देने आये थे. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों का जमकर विरोध किया था.