अलग-अलग प्रकार के मसाले डालकर जो रसादार सब्ज़ी तैयार होती है, उसे इंग्लिश में Curry कहते हैं. हमारे देश में ग्रेवी वाली सब्ज़ी यानी इंडियन करी हर घर में पकाई जाती है. फिर चाहे बात वेज की हो या फिर नॉनवेज की. लेकिन जिस करी को आप बड़े ही चाव से चावल या फिर रोटी के साथ इंजॉय करते हैं, उस शब्द की खोज ग़लती से हुई थी.
हैरान हो गए ना. हम भी हो गए थे जब हमने इसके ऊपर रिसर्च की. आइए जानते हैं Indian Curry के इतिहास के बारे में…
Indian Curry का इतिहास 1498 में मिलता है, जब पुर्तगाली पहली बार भारतीय मसाले जैसे इलायची, लौंग, काली मिर्च आदि की खोज में भारत के दक्षिणी तट पर पहुंचे थे. क्योंकि काली मिर्च उस समय बहुत ही मंहगी चीज़ थी, जो सिर्फ़ भारत में ही पाई जाती थी.
तब उन्होंने भारतीय लोगों को Curry जैसी एक डिश खाते हुए देखा. इस रसादार सब्ज़ी को उन्होंने कई मसालों और नारियल डालकर बनाया था. पुर्तगालियों ने जब उनसे पूछा कि आप क्या खा रहे हैं, तब उन्हें जवाब मिला खारी. इसे वो समझ नहीं पाए और उन्होंने इसे अपने ही अंदाज़ में Carel कहना शुरू कर दिया.
तब तक Curry शब्द फ़िजी, जापान और सिंगापुर में इस्तेमाल किया जाने लगा था. ये वहां से अफ़्रीका और जमैका तक पहुंच गया. फिर अंग्रज़ों का भारत में आगमन हुआ और उन्होंने पुर्तगालियों को उखाड़ फेंका और भारत पर अपना राज स्थापित कर लिया.
अंग्रज़ों ने ही Carel शब्द में बदलाव करते हुए इसे Curry कहना शुरू कर दिया. वो हर रसादार सब्ज़ी जो टमाटर और मसालों की सहायता से बनाई जाती थी, उसे Indian Curry कहने लगे.
यही नहीं अंग्रज़ों ने Indian Curry को बनाना भी सीख लिया और इंग्लैंड में भी इसे परोसा जाने लगा. 19वीं सदी के मध्य तक ये इंग्लैंड के हर रेस्टोरेंट में मिलने वाली डिश बन गई. ये वहां इतनी फ़ेमस हुई कि लोग समझने लगे कि Indian Curry की खोज अंग्रेज़ों ने की थी.
लेकिन सच तो ये है कि भारत में ही Indian Curry की खोज हुई थी. बस नाम ये नहीं था. आज भले ही पूरी दुनिया में अलग-अलग प्रकार की Curry वाली डिश बनाई जाती हों, लेकिन Indian Curry का कोई सानी नहीं है.
मसालों का तड़का, प्याज़-टमाटर, अदरक-लहसुन आदि डालने के बाद जो सब्ज़ी तैयार होती है, उसका मुक़ाबला कोई भी विदेशी Curry वाली डिश नहीं कर सकती. क्यों सही कहा ना?
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