Pride Month 2022: जून में प्राइड परेड क्यों मनाते हैं और क्या है भारत में इसका इतिहास?

J P Gupta

Pride Month 2022: जून का महीना LGBTQ समुदाय के लिए बहुत ही ख़ास होता है. इस महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है और देश और दुनिया में प्राइड मार्च का आयोजन किया जाता है. 

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यही वो महीना है जब 1969 में न्यूयॉर्क में LGBTQ समुदाय के लोगों ने उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी. तब वहां कि पुलिस ने समलैंगिक लोगों को पकड़ उन्हें मारा-पीटा और जेल में बंद कर दिया. तब उनके पास कोई क़ानूनी हक मौजूद नहीं थे.

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अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में प्राइड मंथ मनाया जाने लगा. भारत में भी इसे मनाया जाता है. इंडिया में प्राइड मंथ की शुरुआत कैसे हुई उसका इतिहास, आइए आज आपको बताते हैं.  

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इस दिन हुई थी भारत में पहली प्राइड परेड (Pride Parade)  

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भारत में पहली प्राइड परेड 2 जुलाई, 1999 को कोलकाता में आयोजित की गई थी. इसे तब Kolkata Rainbow Pride Walk कहा गया था. सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से मशहूर कोलकाता में हुई इस परेड में सिर्फ़ 15 लोग शामिल हुए थे जिसमें एक भी महिला नहीं थी.   

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उस परेड को हुए लगभग 22 साल हो गए हैं और तब से लेकर अब तक देश के कई राज्यों/शहरों में इसका आयोजन किया जाता है. इनमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, भुवनेश्वर, भोपाल, सूरत, हैदाराबाद, चंडीगढ़, ओडिशा, और देहरादून जैसे नाम शामिल हैं.  

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बेंगलुरु में साल 2008 में बेंगलुरु नम्मा प्राइड मार्च का आयोजन किया गया था. इसके बाद से हर साल दिसंबर में इस परेड का आयोजन किया जाता है. इसमें Goldman Sachs, Google और IBM जैसी कॉर्पोरेट कंपनियां भी शामिल होती हैं.   

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2008 में दिल्ली और मुंबई में पहली बार LGBTQ समुदाय ने प्राइड परेड (Pride Parade) का आयोजन किया था. दिल्ली में हर साल नवंबर के आखिरी संडे को प्राइड परेड का आयोजन किया जाता है. चेन्नई में 2009 में पहली चेन्नई रेनबो प्राइड आयोजित किया गया था.

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उत्तर-पूर्व (North East) में पहली बार प्राइड परेड (Pride Parade) का आयोजन साल 2014 में गुवाहाटी में हुआ था. तब से वहां हर साल फरवरी के पहले सप्ताह में इसे आयोजित किया जाता है.  

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2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर लगी धारा 377 को अवैध घोषित कर दिया था. इसे सेलिब्रेट करने के लिए LGBTQ समुदाय के लोगों ने पूरे देश में एक स्वतंत्र नागरिक की हैसियत से मार्च किया था. 

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