भारतीय शादी-ब्याह में स्वादिष्ट पकवानों के साथ आपको एक ख़ास चीज़ और दिखाई देती है. अरे हम बात कर रहे हैं लाजवाब पान की. वही पान जो खाने के बाद सबकी ज़ुबान का स्वाद दोगुना कर देता है. वैसे, एक बात बताओ सालों से पान खाते और दूसरों को खिलाते आ रहे हो, पर क्या कभी ये सोचा है कि आखिर बाकि चीज़ों की तरह इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?
क्या है पान का इतिहास?
सदियों बाद भी इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है कि पान की खोज कब और कैसे हुई है. हांलाकि, इसका ज़िक्र भारतीय शास्त्रों में ज़रूर किया गया है. कहा जाता है कि अमृत मंथन के दौरान आयुर्वेदज्ञ धन्वंतरि के कलश में जान बचाने वाली औषधियों के साथ इसकी उत्पत्ति हुई. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि पान का बीज भगवान शकंर और मां पार्वती ने बोया था. इसलिये इसे पवित्र मान कर पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है.
इसके अलावा सदियों पहले पान का उपयोग आयुर्वेदिक औषादी के रूप में किया जाता था. कहते हैं कि पान खाने से आवाज़ साफ़ होती है, साथ ही मुंह से बदबू भी नहीं आती.
मुगलों ने दिया नया रूप!
पान से मगुलों का शाहीपन झलकता था. मुगल इसमें चूना, इलायची और लॉन्ग मिला कर खाते थे, जो कि बहुत अधिक स्वादिष्ट भी होता था. यही वजह थी कि धीरे-धीरे पान की डिमांड हाई होती गई. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के मोहाब में पान को पैसों से अधिक क़ीमती समझा जाता था. इसके साथ ही लोग मुगल कर की जगह पान के पत्तों की मांग करते थे.
इसके बाद धीरे-धीरे इसे महिलाएं मेकअप के लिये इस्तेमाल करने लगीं. कहते हैं कि नूरजहां पान के पत्तों का इस्तेमाल होठों को लाल करने के लिये करती थीं.