पीनट बटर ऐसा मक्खन है, जो फ़िटनेस के दीवानों को ख़ूब भाता है. इसे फ़िटनेस की दुनिया का सुपरफ़ूड कहा जाता है. पीनट बटर में प्रोटीन और फ़ाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसलिए फ़िटनेस फ़्रीक्स इसे वर्क आउट से पहले या फिर बाद में खाना पसंद करते हैं. आम लोग भी पीनट बटर के शौक़ीन हैं. ख़ासकर इससे बनने वाले सैंडविच लोगों में काफ़ी फ़ेमस है.
हमारे देश में भी पीनट बटर के दीवानों की कमी नहीं. पर पीनट बटर की खोज कब और कैसे हुई जानते हैं आप? चलिए आज पीनट बटर के इतिहास से जुड़े सवालों के जवाब भी जान लेते हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकी साइंटिस्ट George Washington Carver ने पीनट बटर की खोज की थी. लेकिन ये एक ग़लत धारणा है. उन्होंने इससे बनने वाले कई प्रोडक्ट बनाए थे, लेकिन पीनट बटर की खोज उन्होंने नहीं की.
पीनट बटर का इतिहास Aztec संस्कृति से जुड़ा है. Aztec एक Mesoamerican संस्कृति है, जो 1300- 1521 के बीच में मेक्सिको में रहती थी. ये लोग भुनी हुई मूंगफली के दानों को पीसकर एक पेस्ट बनाकर खाया करते थे.
लेकिन इसकी खोज का श्रेय तीन लोगों को जाता है. पहले हैं कनाडा के Marcellus Gilmore Edson, जिन्होंने पीनट बटर का पेटेंट 1884 में करवाया था. इन्होंने मूंगफलियों को गर्म कर उन्हें पीसकर इसे बनाया था. दूसरे हैं Dr. John Harvey Kellogg, जिन्होंने केलॉग्स का आविष्कार किया था. इन्होंने पीनट बटर को कच्ची मूंगफलियों से बनाने में कामयाबी हासिल की थी.
इस तरह तैयार हुए पीनट बटर को इन्होंने 1885 में पेटेंट करवाया था. Kellogg ने इसकी प्रोटीन के विकल्प के तौर पर मार्केटिंग की थी. तीसरे शख़्स हैं Dr. Ambrose Straub, जिन्होंने 1903 में पीनट बटर बनाने वाली मशीन का पेटेंट कराया था.
इसके बाद मार्केट में पीनट बटर के अलग-अलग रूप आते रहे और इसके स्वाद और रंग में भी बदलाव आता गया. एक रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका के 98 फ़ीसदी घरों में इससे बने प्रोडक्ट इस्तेमाल किए जाए हैं. अब तो इससे बनने वाली लज़ीज़ डिशेज़ भी मार्केट में उपलब्ध हैं, जैसे Nutty Thai Chicken Slow Cooker Dinner, Peanut Powered Breakfast Cookies और Peanut And Chocolate Cherry Smoothies.
पीनट बटर से जुड़ा इतिहास तो आपको पता चल गया. अब इसे अपने दोस्तों से भी शेयर कर देना उनका ज्ञान भी थोड़ा बढ़ जाएगा.
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