कभी 6 महीने पुरानी चाय पीने को मजबूर थे भारतीय, एक चाय आई और सबको ताज़ा चाय मिलने लगी

J P Gupta

Tata Tea आज देश ही नहीं विदेशों में भी चुस्कियों के साथ पी जाती है. मार्केट में इसकी कई तरह की चाय उपलब्ध है. मगर घर-घर में पाई जाने वाली ये चाय कैसे सबकी फ़ेवरेट बनी और कैसे हुई इसकी शुरुआत बहुत कम ही लोग जाते हैं.  

आइए आज आपको दुनियाभर में पी जाने वाली टाटा टी का इतिहास भी बता देते हैं.   

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1962 में हुई थी इसकी शुरुआत

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1962 में टाटा ग्रुप ने Tata Consumer Products Ltd.  नाम की कंपनी की शुरुआत की. ये कंपनी चाय, कॉफ़ी और मसाले बनाती थी. यहीं से टाटा टी का सफ़र शुरू हुआ. तब इनकी चाय मार्केट में बिकती तो थी मगर इतनी फ़ेमस नहीं थी जितनी आज है. 80 के दशक में इसे ब्रैंडेड और सबकी चहेती चाय बनाने का फ़ैसला कंपनी के बोर्ड ने लिया. 

टाटा टी 

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पहले घाटे में थी कंपनी

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उन्होंने अपने कर्मचारियों से इसे हिट करने का उपाय पूछा. तब ये कंपनी चाय में लगने वाली लागत को भी वसूल करने में नाकामयाब थी. कंपनी के कर्मचारियों ने इसे ब्रैंडेड बनाने के लिए कई उपाय सोचे और मार्केटिंग के बार में काफ़ी कुछ पढ़ा. उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि भारत में कोई भी कंपनी फ़्रेश चाय नहीं बेचती. सभी ब्रैंड्स जो हैं 6 महीने से अधिक पुरानी चाय सेल करते हैं. 

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पहले 6 महीने पुरानी चाय पीते थे लोग

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दरअसल, उस दौर में जो भी प्रसिद्ध चाय के ब्रैंड थे उनके पास अपना ख़ुद का चाय का बागान नहीं था. वो चाय की फ़सल तैयार होने के बाद होने वाली नीलामी में इसे ख़रीदते थे और फिर इसे मार्केट में उतारते. इसे ख़रीद कर उसकी ब्लेंडिंग, पैकिंग और वितरण करने में फै़क्ट्रियों को 6 महीने से अधिक का समय लग जाता था. इस तरह लोग इतनी ही पुरानी चाय पीने को मजबूर थे. 

सस्ते दाम पर लोगों को मिलने लगी ताज़ी चाय

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इसलिए Tata Consumer Products Ltd. ने अपने ख़ुद के चाय के बागान ख़रीदे. इनमें चाय उगाना शुरू की और फिर लॉन्च की ख़ुद ही चाय यानी टाटा टी. कंपनी अपनी चाय को सीधे बागानों से ही तैयार करती और 16 दिनों के अंदर मार्केट में उतार देती. इसका उन्होंने ताज़ा चाय के रूप में प्रचार भी किया. चूंकि टाटा अपनी चाय ख़ुद उगाती थी उसे नीलामी में इसे ख़रीदने की आवश्यकता नहीं थी इसलिए वो इसे सस्ते दाम पर बेचती थी.

 स्थानीय टेस्ट वाली चाय भी बनाई टाटा ने

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ग्राहकों को भी सस्ते दाम में ताज़ा चाय पीने को मिली तो उन्होंने इसे हाथों-हाथ लिया. इसे और पॉपुलर करने के लिए कंपनी ने इसके कई विज्ञापन बनवाए जिनमें इसकी ताज़गी पर अधिक फ़ोकस किया गया. इतना ही नहीं टाटा ने स्थानीय लोगों के टेस्ट को भी तवज्जो दी. उन्होंने कई रीजनल टेस्ट वाली चाय भी लॉन्च की. उनका ये दांव भी सफ़ल रहा, इन्हें भी लोगों ने ख़ूब पसंद किया. आज टाटा टी भारत में सबसे अधिक बिकने वाली चाय है. भारत के 3 में से एक घर में ये चाय बनाई जाती है. 

अपनी पसंदीदा टाटा टी का इतिहास जानते थे आप?  

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