दैतारी नायक को 3 साल पहले मिला था पद्मश्री, आज तेंदू के पत्ते व आम पापड़ बेचने को हैं मजबूर

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भारत सरकार ने साल 2019 में ओडिशा के ‘माउंटेन मैन’ और ‘कैनाल मैन’ के नाम से मशहूर दैतारी नायक को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था. 3 साल बाद आज ‘माउंटेन मैन’ को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है पद्मश्री अवॉर्ड की वजह से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है.

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ओडिशा के क्योंझर ज़िले के रहने वाले 73 वर्षीय के दैतारी नायक पद्मश्री से सम्मानित होने के बावजूद दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हैरानी की बात तो ये है कि पद्मश्री मिलने के बाद भी उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है. सरकार ने उनसे जो भी वादे किये थे वो अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं.

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कौन हैं दैतारी नायक? 

ओडिशा के खनिज संपन्न गांव ‘तालबैतरणी’ के रहने वाले दैतारी नायक ने साल 2010 से 2013 के बीच सिंचाई के लिए अकेले ही गोनासिका नामक पहाड़ खोदकर 3 किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी. आज इसी नहर की वजह से तालबैतरणी गांव की 100 एकड़ ज़मीन की सिंचाई हो पा रही है. इस नहर को बनाने के चलते ही उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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73 वर्षीय दैतारी नायक का कहना है कि, ‘पद्मश्री ने किसी भी तरह से मेरी मदद नहीं की. पहले मैं दिहाड़ी मज़दूर के तौर पर काम करता था, लेकिन अब लोग मुझे काम ही नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है ये मेरी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है. इस अवॉर्ड ने मेरी आजीविका और उससे जुड़े आय के सभी स्रत भी छीन लिए हैं. अब गुज़ारा करना भी बहुत मुश्किल हो रहा है.

मुझे लगा था कि ये कैनाल मिसाल बनेगी, सरकार इस कैनाल को मेरे गांव तक ही नहीं आसपास के गांवों तक भी पहुंचाएगी. लेकिन ये काम मैंने जहां छोड़ा था वहीं ठप पड़ा है. मैंने कई बार प्रशासन का दरवाज़ा खटखटाया कि इस कैनाल के किनारों को कंकरीट का करवा दिया जाए मगर किसी ने नहीं सुना.
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भारत सरकार के जिस अवॉर्ड से लोगों को सम्मान के साथ जीने का मौक़ा मिलता है. पिछले 3 सालों में दैतारी नायक को वो सम्मान नहीं मिल पाया. दैतारी नायक को अब गांव के लोगों ने भी ताने देने शुरू कर दिए हैं. अपने परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचने पड़ रहे हैं.

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आदिवासी किसान परिवार से आने वाले दैतारी ने अपनी इस स्थिति से परेशान होकर अपना ‘पद्मश्री’ सम्मान के तौर पर मिला ‘मेडल’ बकरी के बाड़े में लटका दिया है. आज हालात ये हैं कि उनका का बेटा आलेख नायक भी एक मज़दूर करने को मजबूर है. हालांकि, दैतारी नायक ने पद्मश्री लौटने और चींटियों के अंडे खाने वाली बात से इंकार किया है.

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दैतारी नायक को सरकार से हर महीने 700 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन मिलती है. इस पैसे से पूरे परिवार का जीवनयापन करना बेहद मुश्किल है. 3 साल पहले ‘इंदिरा आवास योजना’ के तहत एक घर आवंटित हुआ था, जो अब तक अधूरा है, जिस वजह से उन्हें अपने पुराने घास फूस के घर में ही रहना पड़ रहा है. 

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दैतारी नायक जैसे रियल हीरोज़ आज सरकार व लोगों से मदद मांगने को मज़बूर हैं.  

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