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डॉ. प्रकाश की इस पहल को ‘अंदरी इल्लू’ (Andari Illu Hyderabad) कहते हैं, जिसका मतलब ‘सभी का घर’ है. साल 2006 से ही उनके घर के दरवाज़े समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए खुले हैं.
कभी ख़ुद थे ज़िंदगी से निराश, मगर फिर दूसरों के लिए बने मिसाल
डॉ प्रकाश ने 1983 में अपनी बहन को हार्ट प्रॉब्लम और अपने दोस्त को एक सड़क दुर्घटना में खो दिया. उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 18 साल थी. इस घटना ने उन्हें काफ़ी परेशान कर दिया. वो ज़िंदगी से निराश हो गए. उन्हें लगा कि जब मरना ही है तो फिर हम जिये ही क्यों? हालांकि, उन्होंने ख़ुद को संभाला और डॉक्टरी की पढ़ाई की और नौकरी के साथ-साथ सामाजिक कार्य करने लगे. मगर उनका इसमें दिल नहीं लगा. धार्मिक और बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम पर चलने वाले NGO उन्हें रास नहीं आए.
वो दिखाना चाहते थे कि धार्मिक कार्ड या कॉर्पोरेट धन के बिना भी समाज सेवा की जा सकती है. ऐसे में साल 1999 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने दो मंज़िला घर में एक NGO शुरू किया. उसके बाद साल 2006 में उन्होंने अपनी पत्नी कामेश्वरी संग मिलकर इसे ओपन हाउस (Open House) बना दिया.
डॉ प्रकाश कहते हैं-
हमने देखा कि समाज के बीच कनेक्शन टूट रहा है और इंसान दूसरों के प्रति असंवेदनशील होता जा रहा है. ऐसे में हमने हर ज़रूरतमंद की मदद करने का फ़ैसला किया. यहां कोई भी सुबह 5.30 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच आ सकता है. चाहे वो शहर में नया व्यक्ति हो, छात्र हो, भूखा हो या फिर कपड़ों या आश्रय की आवश्यकता हो, कोई भी मुफ्त में सुविधाओं का लाभ उठा सकता है.
डॉ. प्रकाश बताते हैं कि पुलिस की कुछ रिस्ट्रिक्शन हैं, जिसके चलते रात में लोगों के ठहरने पर मनाही है.
अब तक 1 लाख लोगों की कर चुके हैं मदद
पिछले 16 साल से ये ओपन हाउस (Open House) हर साल के 365 दिन खुला रहता है. कोविड महामारी के दौरान भी ये काम करता रहा था. डॉ. प्रकाश का कहना है कि इससे अब तक करीब 1 लाख लोगों को फायदा हो चुका है.
डॉ प्रकाश कहते हैं कि ‘इस ओपन हाउस का उद्देश्य ही है कि कोई भूखा न रहे. जब किसी को भूख लगे, तो वो यहां आ सकता है. किताबें पढ़ सकता है. जब ज़रूरतमंद लोग यहां से मुस्कुराते हुए वापस जाते हैं, तो हमें बेहद ख़ुशी होती है.’