आज पृथ्वी का ऐसा एक भी कोना नहीं बचा है जहां पर हम इंसानों ने अपने मतलब के लिए उसे बर्बाद न किया हो. हमे जंगल दिखा तो हमने उसे काट दिया. जंगल कटने की वजह से वहां पर रहने वाले जीव-जंतुओं का घर छिन गया. उस जंगल में उगने वाले पेड़-पौधे मर गए. पेड़ कटने की वजह से जलवायु परिवर्तन तेज़ी से होने लगा. हमें समुद्र मिला तो हमने उसके जीवों को इंसानी ज़रूरतों के लिए इतना इस्तेमाल किया कि अब वहां कुछ बचा ही नहीं है. समुद्र है तो उसमें हमने गंदगी, प्लास्टिक का ऐसा अम्बार छोड़ दिया है कि उसको साफ़ होते-होते अगले कुछ दस लाख साल लग जाएंगे.
हमने खाने की चैन से लेकर परितंत्र का ऐसा विनाश किया है कि न आज हमारे पास पेड़ हैं, ज़मीन सुखी हो रही है, दुनिया के आधे जानवर और पेड़-पौधे विलुप्त हो गए हैं, ग्लेशियर इतनी तेज़ी से पिघल रहे हैं और जलवायु में ऐसी उथल- पुथल मच चुकी है कि शायद हमें अब सम्भलने के लिए भी देर हो चुकी है.
ब इतना बोलने के बाद तस्वीरों के ज़रिए भी आपको दिखाती हूं कि कैसे हमने प्रकृति को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
1. दक्षिणी अफ़्रीका के नामिबिया में स्थित प्रसिद्ध नामिब रेगिस्तान(Namib Desert) कैसा निर्जीव हो गया है. यह रेगिस्तान धीरे- धीरे मरुस्थलीकरण (Desertification) की तरफ बढ़ रहा है.
2. जिस चट्टान पर पोलर बेयर सो रहा है, उस स्थान पर कभी ग्लेशियर हुआ करता था. ये चट्टान ही नहीं इस तवीर में आप देखें तो ग्लेशियर न मात्र ही हैं.
3. लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से बांग्लादेश की ये ज़मीन बुरी तरह सूख गई है.
4. बड़े- बड़े हिमखंड जो जलवायु परिवर्तन के कारण हर दिन टूटते हैं
5. प्लास्टिक बैग में फंसी एक मछली
6. ग्लोबल वॉर्मिंगके कारण, मोंट-ब्लैंक ग्लेशियर अधिक से अधिक पिघल रहा है. हर साल यह कई मीटर मोटाई खो रहा है.
7. वियतनाम की ये ज़मीन पर सूखे का प्रभाव देखिए
8. जलते हुए जंगल
9. बांग्लादेश की गोराई नदी हर साल पहले से ज़्यादा सूखती जा रही है.
10. काले धुंए की गुब्बार में घुलती दुनिया
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11. कूड़े का ढेर
12. हर जगह खड़ी फ़ैक्टरियां जो पानी और वायु दोनों को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं
13. हम आने वाली पीढ़ी के लिए क्या विरासत छोड़ कर जा रहे हैं ?
14. मरे हुए मैंग्रोव
15. जलवायु परिवर्तन के कारण इन दिनों गर्मी में तूफान आना सामान्य हो गया है
जलवायु परिवर्तन कोई मज़ाक नहीं है ये धीरे-धीरे हर समय, हर दिन, हर महीने दुगनी तेज़ी से हो रहा है. हमें ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है वरना जल्द ही ये पृथ्वी ख़त्म हो जाएगी.