इस महिला ने अकेले, अपने दम पर एक देश की खाना बर्बाद करने की आदत सुधार दी

Vishu

हम में से कितने ही ऐसे लोग हैं, जो चाहे-अनचाहे प्लेट में रखे खाने को ख़त्म किए बिना छोड़ देते हैं. कई लोग तो खाना वेस्ट करने से पहले ज़रा-सा वक्त भी नहीं लगाते. शायद हमें फ़र्क न पड़ता हो, लेकिन रूस की एक महिला को इस बात से बेहद कोफ़्त होती थी.

‘खुद वो बदलाव बनिए, जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं’

amazonaws

इसी Quote की तर्ज पर सेलिना जुल ने अकेले दम पर ही एक देश की खाने की आदतों में सुधार ला दिया.

सेलीना खाने को खराब या वेस्ट होते देखती, तो उनका दिल बैठ जाता है. एक ऐसी दुनिया में जहां हर रात करोड़ों लोग भूखे सोते हों. वे फूड वेस्ट को अपराध से कम नहीं समझती हैं. शायद यही कारण था कि उन्होंने खाने की बर्बादी के खिलाफ़ कदम उठाने का फ़ैसला किया. उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि आज डेनमार्क में खाने की बर्बादी में 25 प्रतिशत की कमी हुई है.

frederiksbergbladet

सेलीना एक ऐसे देश से आती हैं (रूस), जहां तीन समय का खाना मिलना भी दुर्लभ होता है. सेलीना के मुताबिक, हमारे देश का इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया है. कम्युनिज्म की वजह से देश के हालात बिगड़ गए. हमारी प्लेटों में खाना अब चुनौती की तरह नज़र आ रहा था.

सेलीना जब डेनमार्क पहुंची, तो उनके लिए ये कल्चर शॉक जैसा था.

डेनमार्क में ऐसे कई सुपरमार्केट्स थे जहां खाद्य पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी. इन फूड आइटम्स की तादाद इतनी ज़्यादा थी कि कई चीज़ें ख़राब हो जाती. ट्रक भर-भर कर इन्हें फिंकवाया जाता या कम्पाउंड में भेजा जाता. डेनमार्क के लोग भी शायद इसलिए ही खाने के प्रति संवेदनहीन थे.

उन्होंने डेनमार्क के हालातों को देखते हुए ही फूड वेस्टेज के खिलाफ़ खड़े होने का निर्णय लिया. उन्होंने इससे जुड़ा एक फ़ेसबुक पेज बनाया. इसके अलावा उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को फूड वेस्ट के प्रति जागरुक करने की कोशिश की. उन्होने लोगों को बताया कि कैसे छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखने से खाने को खराब होने से बचाया जा सकता है.

citi

उन्होंने डेनमार्क की एक सुपरमार्केट चेन रेमा 1000 को अपने साथ लिया. सेलिना की बात मानते हुए इस सुपरचेन ने खाने की चीज़ों पर बड़ी तादाद वाले उत्पादों पर डिस्काउंट्स को ख़त्म ही कर दिया और अब सिंगल आइटम्स पर ही डिस्काउंट उपलब्ध थे.

उन्होंने कहा कि हम आज उन हालातों में नहीं हैं कि खाने के सामान को सड़ने दिया जाए और फिर उसे कूड़े में फिंकवा दिया जाए. खाने की बर्बादी का कारण भी लोगों की खाने के प्रति लापरवाही ही है. फ्रिज की वजह से भी कई खाद्य पदार्थ खराब हो रहे हैं. लोग फ्रेश करने के चक्कर में कई बार चीज़ों को लंबे समय तक फ्रिज में रखे रहते हैं. आखिरकार ये फू़ड आइटम्स पेट में जाने की जगह कूड़े में चले जाते हैं.

Independent

सेलीना ने चेतावनी दी कि अगर पूरी दुनिया में खाने के वेस्ट को लेकर जागरुकता नहीं बरती गई, तो जल्दी ही विश्व का फूड साइकिल हिल जाएगा. वे अब अपने इस मिशन को दुनिया के कई हिस्सों में फैलाना चाहती है. उनका मकसद है कि खाने के प्रति लोगों में संवदेनशीलता को ग्लोबल स्तर पर भी प्रमोट किया जाए.

उन्होंने एक संस्था की भी स्थापना की है जिसका नाम है Stop Spild Af Mad. डेनमार्क सरकार ने इस संस्था को फूड वेस्टेज के खिलाफ लड़ाई में अहम बताया. वे अब सेमिनार होस्ट करती हैं, वर्कशॉप चलाती हैं. टॉक शोज़ और मैगेजींस में उनके इंटरव्यू आते हैं. कई लोग उनकी इस पहल के साथ लगातार जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि खाने की बर्बादी करना प्रकृति और समाज का अपमान करने जैसा है. ये उन लोगों का अपमान करने जैसा है जिन्होंने इन खाद्य पदार्थों को मेहनत से उगाया है.

ytimg

सेलीना की इस पहल ने कई लोगों की ज़िंदगी में सार्थक बदलाव लाए हैं. उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से साबित किया है कि अगर कोशिश की जाए, तो केवल एक इंसान भी समाज में बड़ा अंतर ला सकता है. 

आपको ये भी पसंद आएगा
लॉन्च हो गया है दुनिया का सबसे महंगा ‘लिफ़ाफ़ा’, क़ीमत जानकर ‘मिडिल क्लास’ लोग पकड़ लेंगे माथा
बिरयानी, रसगुल्ला या डोसा नहीं, इस साल लोगों ने Swiggy से सबसे ज़्यादा ऑर्डर की ये डिश
Old Monk: जानिए इस ‘देसी रम’ की बोतल पर किसकी तस्वीर छपी होती है, दिलचस्प है कहानी
ये है दुनिया की सबसे महंगी धूल, करोड़ों रुपये है क़ीमत, सिर्फ़ तीन देशों के पास है इसका स्टॉक
Magic Moments: यूपी में बनी इस देसी वोदका की आज दुनिया है दीवानी, बन चुकी है वर्ल्ड की बेस्ट वोदका
सर्दियों में मिलते हैं ये 10 फूल, इन्हें खाया भी जा सकता है, जिनके हैं ज़बरदस्त फ़ायदे