भारत देश कई रहस्यमयी जगहों से भरा पड़ा है. इन जगहों के रहस्य को वैज्ञानिक भी अभी तक नहीं सुलझा पाए हैं. इन रहस्यमयी इमारतों और क़िलों से जुड़ी कहानियां और उनकी बनावट लोगों में चर्चा का विषय बनी रहती है. इसी कड़ी में हम आपको एक तैरते हुए चर्च के बारे में बताएंगे. ये चर्च मॉनसून के समय पानी में डूब जाता है और गर्मियों के मौसम में ऊपर आ जाता है. चलिए जानते हैं इस अनोखे चर्च के बारे में.
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इस चर्च का नाम शेट्टीहल्ली रोज़री चर्च (Shettihalli Rosary Church) है, जो कर्नाटक में के हसन से क़रीब 22 किमी दूर स्थित भारत का इकलौता तैरता हुआ चर्च है. यहां के लोग इस चर्च को डूबा हुआ चर्च या तैरने वाला चर्च कहते हैं. बनावट काफ़ी ख़ूबसूरत होने के बावजूद भी ये चर्च सिर्फ़ खंडहर बन कर रह गया है. टूरिस्ट भी यहां कभी-कभी ही आते हैं.
चर्च का निर्माण किसने कराया था निर्माण?
1860 में फ़्रेंच मिशनरीज़ द्वारा बनाया गया ये चर्च हेमावती नदी के किनारे स्थित है. इस चर्च की ख़ासियत ये है कि मॉनसून में ये पानी में डूब जाता है. इसलिए इसे ग़ुमनाम डेस्टिनेशन भी कहा जा सकता है. मगर साल 1960 में जब हेमावती नदी पर बांध बना दिया गया तो इस वजह से चर्च के पास की सारी ज़मीन रेत से भर गई और ये चर्च वीरान हो गया.
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चर्च के चारों तरफ़ पानी ही पानी रहता है
ये चर्च पूरे साल पानी में डूबा रहता है. इसलिए इसका सिर्फ़ एक तिहाई हिस्सा ही देखने को मिल पाता है. इसी वजह से राज़री चर्च को नया नाम ‘द ड्रोइंग चर्च’ दिया गया है. वीरान पड़ा ये चर्च अब बस पक्षियों का घर बनकर रह गया है. साथ ही पर्यटक यहां वो पर्यटक आ सकते हैं, जिन्हें शांति के कुछ पल बिताने हों.
भारत की इमारतें हों या कलाएं सभी किसी न किसी रहस्य को अपने भीतर समेटे हैं.