कैसे बनता है प्राकृतिक और आर्टिफ़िशियल सिंदूर और क्या है दोनों में अंतर, जानिए

Kratika Nigam

Sindoor Fact: सिंदूर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है वो शादी हो या पूजा-पाठ. हिंदू धर्म में पति-पत्नी के रिश्ते का आधार होता है सिंदूर. पूजा-पाठ के दौरान सुहागिनी सिंदूर ज़रूर लगाती हैं और भगवान को भी सिंदूर ज़रूर चढ़ाया जाता है. सिंदूर दो तरह का होता है, लाल और पीला. यूपी और बिहार में नई नवेली दुल्हनें पीला सिंदूर लगाती हैं साथ ही हर जगह भगवान को भी पीला सिंदूर चढ़ाया जाता है. शादी के कुछ दिन बाद महिलाएं लाल सिंदूर लगाने लग जाती हैं. आजकल तो मार्केट में गीला सिंदूर भी मिलने लगा है, तो कुछ महिलाएं सूखे सिंदूर की जगह गीला सिंदूर भी लगाने लगी हैं.

सिंदूर तो आप रोज़ लगाती होंगी, लेकिन क्या प्राकृतिक और आर्टिफ़िशियल सिंदूर की पहचान कर पाती हैं. असली और नकली सिंदूर को समझ पाती हैं. अगर नहीं तो फिर इस जानकारी के बाद ज़रूर समझने लग जाएंगी. इसके अलावा, हिंदू धर्म में सिंदूर को धार्मिक तौर पर बहुत ही पवित्र मानते हैं. साथ ही, इसका महत्व भी बहुत है.

चलिए आज आपको सिंदूर के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या हैं? और प्राकृतिक सिंदूर और आर्टिफ़िशियल सिंदूर में क्या अंतर है?

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Sindoor Fact

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प्राकृतिक सिंदूर या सूखा सिंदूर (Dry Vermilion)- प्राकृतिक सिंदूर को सिंदूर के पौधे से बनाया जाता है, जिसे कपीला, कमीला और सिंदूरी आदि नामों से भी जानते हैं. इसे बनाने के लिए इस पौधे के बीज़ों के अच्छी तरह से सुखाकर पीस लिया जाता है. इससे जो पाउडर तैयार होता है वो सिंदूर होता है. इसके अलावा, इस पौधे का इस्तेमाल लिपस्टिक बनाने में भी किया जाता है. इसके कोई नुकसान नहीं होता है.

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आर्टिफ़िशियल सिंदूर (Artificial Vermilion)- आर्टिफ़िशियल सिंदूर को लेड ऑक्साइड (Lead Oxide), सिन्थेटिक डाई (Synthetic Dye) और सल्फेट (Sulfate) से बनाया जाता है. हालांकि, इसके इस्तेमाल से महिलाओं को कई साइट इफ़ेक्ट्स होते हैं, जैसे गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए ये सिंदूर हानिकारक हो सकता है. इसमें होने वाले तत्वों सिन्थेटिक डाई के कारण बाल झड़ने की समस्या हो सकती है, लेड ऑक्साइड से सिर में जलन की समस्या हो सकती है और सल्फेट से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पनप सकती हैं.

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सिंदूर के अन्य तरीके टीका के लिए इस्तेमाल होने वाला सिंदूर हल्दी और नींबू के रस से बनाया जाता है. साथ ही इसमें घी और बुझा हुआ चूना भी मिलाते हैं. इसे रुचना या कुमकुम कहते हैं. सिंदूर को लाल चंदन पाउडर और केसर से भी बनाया जाता है.

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असली और नकली सिंदूर को पहचानने के लिए सिंदूर को हथेली पर रखें और फूंक से उड़ाएं, अगर वो पूरा उड़ गया तो असली है. अगर हाथ में चिपका रह गया तो नकली है.

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