दोस्तों के साथ ‘High Five’ तो कई बार किया होगा, अब जानिये इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई

Kratika Nigam

High Five: दोस्तों के साथ ख़ुशी मनाते हुए आजकल High Five देना आम बात हो गई है. अब तो पेरेंट्स भी इतने मॉर्डन हो चुके हैं कि वो भी अपने बच्चों के साथ ज़्यादा ख़ुश होने पर High Five दे देते हैं. कुछ लोग हिंदी में भी बोलते हैं ‘दे ताली’. आपने भी कई बार इन दोनों में से कुछ न कुछ आप भी रोज़ कहते ही होंगे. भारत में लोग सिर्फ़ ख़ुश होने पर High Five और ‘दे ताली’ कहते हैं, लेकिन अमेरिका में हर साल 21 अप्रैल को नेशनल हाई फ़ाइव डे मनाया जाता है.

इस High Five Moment से जुड़े कई क़िस्से होंगे आपके पास, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये High Five कहां से आया? किसने इसे इजात किया? बिज़नेस इनसाइडर की रिपोर्ट की मानें तो, हाई फ़ाइव शब्द का होना बेसबॉल से जुड़ा है. चलिए जानते हैं क्या है ये पूरा क़िस्सा?

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High Five की शुरूआत कैसे हुई?

आजकल आम हो चुके हाई फ़ाइव शब्द की शुरुआत 1977 में लॉस एंजलिस डॉज़र्स (Los Angeles Dodgers) और ह्यूस्‍टन एस्‍ट्रोज़ (Houston Astros) की टीम के बीच हुए बेसबॉल मैच के दौरान हुई थी. इस टीम की चैम्पियनशिप की छठी पारी चल रही थी और आख़िरी दिन था तभी एक टीम ने अपने स्कोर को देखा, जो जीत के काफ़ी क़रीब पहुंच चुका था. स्कोर देखने के बाद उसे ख़ुशी से हाथ हवा में उठाया तो दूसरे खिलाड़ी ने भी उसके हाथ पर अपना हाथ दे दिया. बस, इस छोटे से और ख़ुशनुमा पल के दौरान पहले हाई फ़ाइव की शुरुआत हुई. 

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दूसरा क़िस्सा बास्केटबॉल (BasketBall) से जुड़ा है

एक रिपोर्ट के अनुसार, हाई फ़ाइव की शुरुआत का एक अन्य क़िस्सा बास्‍केटबॉल (BasketBall) से भी जुड़ा है, जो 1978 और1979 सीज़न के कार्डिनल्‍स बास्‍केटबॉल प्रैक्टिस के दौरान अमेरिका की लुइसविले यूनिवर्सिटी (University of Louisville) में देखने को मिला था. हुआ ये था कि, मैच के दौरान खिलाड़ी विले ब्राउन अपने साथी डेरेक स्मिथ (Derek Smith) को लो-फ़ाइव देने गए थे, तभी स्मिथ ने ब्राउन को देखा और कहा कि लो नहीं हाई फ़ाइव, बस फिर क्या था वहीं से हो गई हाई फ़ाइव की शुरुआत. 

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धीरे-धीरे इसका चलन गर जगह हो गया

हाई फ़ाइव शब्द का जन्म भले ही खेल के मैदान पर हुआ हो, लेकिन बदलते दौर के साथ-साथ इस शब्द ने अपनी जगह छोटी-छोटी ख़ुशियों के बीच बना ली है. आज लोग ख़ुश होते हैं हाई फ़ाइव देते हैं. इसका इस्तेमाल, वर्कप्‍लेस, पार्टियों और ख़ुशियों के पलों में होने लगा है. हालांकि, भारत के लिए इसका अंग्रेज़ी नाम नया हो सकता है क्योंकि 80 और 90 के दशक में लोग हाई फ़ाइव को ‘दे ताली’ कहते थे.

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आपको बता दें, अमेरिकी कैलेंडर के अनुसार, 2002 में वर्जिनिया यूनिवर्सिटी (The University of Virginia) के स्‍टूडेंड्स ने नेशनल हाई फ़ाइव डे की शुरुआत की थी.

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