Indian Navy Ships Name: भारतीय नौसेना में ऐसे कई जहाज़ और सबमरीन हैं, जिनके नाम सुनकर लगता है कि किसी इंसान का नाम हो. अक्सर ये नाम सुनकर आश्चर्य होता है, लेकिन क्या कभी दिमाग़ में ये सवाल कौंधा है कि आख़िर ऐसे नाम जहाज़ या सबमरीन को क्यों दिए जाते हैं? या इन नामों के पीछे दिमाग़ किसका होता है? या ऐसे नाम देने के पीछे की वजह क्या होती है? क्या ये वजह जहाज़ों के इतिहास या उनकी भूमिका से जुड़ी है.
चलिए पहले जानते हैं कि कौन-कौन से नाम के जहाज़ हैं. इसके बाद, इसके पीछे की वजह पर भी नज़र डालेंगे.
Indian Navy Ships Name
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इन नामों में सिंधुघोष, विक्रांत, विक्रमादित्य, सावित्री, शारदा, सुभद्रा, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, राजपूत, शिवालिक, तलवार, कुकरी, कोरा, अभय, सुकन्या, दीपक, सुजाता, कुंभीर,आदित्य, ज्योति, निकोबार आदि नाम शामिल हैं. ये नाम भी ऐसे ही नहीं दे दिए जाते हैं. इन नामों के रखने वाली एक कमेटी होती है.
दरअसल, जब नाम रखे जाते हैं तो ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि इनके नामों में एकरूपता और समानता हो. जैसे क्रूज़र या डिस्ट्रॉयर के नाम राज्यों की राजधानी, किसी बड़े शहर या इतिहास के महान योद्धाओं के नाम पर रखे जाते हैं जैसे INS दिल्ली, INS चेन्नई, INS कोलकाता, INS मैसूर, INS राणा और INS रंजीत आदि.
तो वहीं, अलग-अलग सबमरीन के नाम अलग-अलग तरीक़े से रखे जाते हैं. जैसे जंगी सबमरीनों के नाम आक्रामक होते हैं, INS कामोर्टा या INS कदमट्ट. ज़्यादातर पानी में रहकर काम करने वाली सबमरीन दो तरह की होती है पारंपरिक और न्यूक्लियर. इसलिए इनके नाम मछलियों के नाम पर भी रखे जाते हैं, जैसे, पारंपपरिक सबमरीन के INS शल्कि और INS शंकुल, या INS सिंधुकीर्ति और सिंधुघोष. और न्यूक्लियर के INS अरिहंत और INS चक्र.
अब बताते हैं इन नामों को निर्धारित कौन करता है?
भारतीय नौसेना के जहाज़ और सबमरीन का नाम रखने के लिए एक कमेटी होती है, जिसका नाम आंतरिक नामकरण कमेटी (Internal Nomenclature Committee) है, जो रक्षा मंत्रालय के अधीन आती है. इस कमेटी के हेड असिस्टेंट चीफ़ ऑफ़ नेवल स्टाफ़, रक्षा मंत्रालय के हिस्टोरिकल सेक्शन के प्रतिनिधि और पुरातत्व विभाग (Archaeology Department) के प्रतिनिधि होते हैं. इन सभी की सहमति से जहाज़ों के नाम फ़ाइनल किए जाते हैं. साथ ही, फ़ाइटर एयरक्राफ़्ट के मोटो और क्रेस्ट के लिए इनके साथ-साथ राष्ट्रपति की भी सहमति ली जाती है.
नेवल स्टाफ़ के पूर्व चीफ़ विष्णु भगत ने The Print को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि,
ये एक अच्छा परंपरा है कि हमारे जहाजों और पनडुब्बियों के नाम भारतीय गणराज्य के विभिन्न पहलुओं के नाम पर हैं. इस तरह के नाम रखने भारत की विविधता में एकता झलकती है. जैसे एक शिप को INS Imphal नाम दिया गया था. मुझे इस बात की ख़ुशी थी कि पुर्वोत्तर के शहर के नाम पर जहाज़ का नाम रखा गया.
इस रिपोर्ट में उन्होंने ये भी कहा कि,
मैं चाहता था कि, कश्मीर के नाम पर एक शिप का नाम होना चाहिए, लेकिन सरकार ने ऐसा करने की सहमति नहीं दी.
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आगे बताया कि,
कई जहाज़ों के नाम सेवामुक्त जहाज़ों के नाम पर भी रखे जाते हैं. जैसे जिस INS विक्रांत नौसेना में कमिशन किया गया है, उसका नाम पहले वाले विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है.
आपको बता दें, विमान वाहकों के नाम अलग होते हैं और Frigates के नाम पर्वत श्रृंखलाओं या नदी के नाम पर रखे जाते हैं.