जानिए मुर्सी जनजाति के बारे में, जिसके हाथ में AK-47 और चेहरे पर लटकते होंठ नज़र आते हैं

Abhay Sinha

 ‘ किसी को मारे बगैर ज़िंदा रहने से बेहतर है मर जाना.’

ये महज़ कहने के लिए एक लाइन नहीं, बल्कि अफ़्रीका की एक जनजाति का ज़िंदगी जीने का तरीका है. ये वो सोच है, जो पूर्वी अफ़्रीका के इथोपिया की मुर्सी जनजाति (Mursi tribe) को दुनिया की सबसे ख़तरनाक जनजाति बना देती है. किसी को मारना इस जनजाति के लिए मर्दानगी और बहादुरी की निशानी है. 

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हालांंकि, ये जनजाति आज बहुत हद तक बदल चुकी है. खून-खराबा पहले की तुलना में कम है. लोग भी इनसे संपर्क करते हैं. मगर बावजूद इसके मुर्सी जनजाति में कई अजीब प्रथाएं और प्राचीन तौर-तरीके जारी हैं.

गाय के बदले लेते हैं AK-47

साउथ इथोपिया और सूडान बॉर्डर स्थित ओमान वैली में फैली इस जनजाति की आबादी क़रीब 10 हज़ार है. मुर्सी जनजाति के लोग अपनी पूरी ज़िंदगी मवेशी चराते, डंडों से लड़ते-झगड़ते और पड़ोसी जनजातियों से उलझते गुज़ार देते हैं. इन्हें जैसे ही मौका मिलता है, ये AK-47 जैसे ख़तरनाक हथियार खरीदने से नहीं चूकते. AK-47 का पुराना मॉडल 8 से 10 गाय देकर लिया जाता है, जबकि नए मॉडल के लिए 30-40 गाय देनी पड़ती हैं. इन हथियारों की आपूर्ति उन्हें पड़ोसी देशों सूडान और सोमालिया से की जाती है. 

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लड़कियों के नीचे होंठ में डिस्क लगाई जाती है

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इस जनजाति की महिलाएं बॉडी मॉडिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाते हैं. इसके तहत लड़कियों की मां 15 साल की उम्र के बाद कबीले की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर अपनी लड़कियों के निचले होंठ में लकड़ी या मिट्टी की डिस्क लगाती हैं. फिर कुछ महीनों के बाद, उसमें 12 सेंटीमीटर व्यास की डिस्क फंसा दी जाती है, जो कि पूरी ज़िंदगी उसके होंठ में लगी रहती है. 

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होंठ पर लगी इस डिस्क के कई मतलब होते हैं. सबसे पहले तो इसे सुंदरता की निशानी माना जाता है. दूसरे, ये पति के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है क्योंकि इसे भोजन परोसते समय बड़े गर्व के साथ पहना जाता है. यदि पति की मृत्यु हो जाती है, तो होंठ की प्लेट हटा दी जाती है, क्योंकि कहा जाता है कि महिला की बाहरी सुंदरता पति की मौत के बाद फीकी पड़ जाती है. इसके अलावा ये प्लेट मुर्सी जनजाति की पहचान भी बन चुकी है.

मुर्सी जनजाति में गाय का बहुत महत्व है

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मुर्सी जनजाति में किसी के अमीर-ग़रीब होने का पैमाना गाय ही है. यहां हर महत्वपूर्ण सामाजिक अनुष्ठान मवेशियों की मदद से ही होता है. ख़ास बात ये है कि यहां दहेज लड़की वाले नहीं, बल्कि लड़के वाले देते हैं. दूल्हे का परिवार दुल्हन के पिता को दहेज के रूप में आमतौर पर 20-40 गाय देता है. अच्छी लड़की को पाने के लिए यहां खूनी संघर्ष भी होते हैं. जो जितना हिंसक होता है, उसे उतना ही बहादुर माना जाता है. बता दें, मुर्सी जनजाति के लोग लड़ाई से पहले खूब जानवरों का खून पीते हैं, ताकी वो ज़्यादा मोटे और ताकतवर बन सके और कीबले में सम्मानजनक पोज़ीशन बना सकें.

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