कंबोडिया में सूंघ कर बारूदी सुरंगों का पता लगाने वाला मगावा चूहा पांच साल के काम के बाद रिटायर हो गया है. इस बहादुर चूहे ने अपनी सूंघने की क्षमता से सुरंगों का पता लगाया और हजारों लोगों की जान बचाई.
गजब का चूहा
मगावा अफ्रीकी नस्ल का चूहा है और उसे बेल्जियम के गैर-लाभकारी संगठन ने ट्रेनिंग दी थी. अपनी सेवा के दौरान मगावा ने पांच साल तक बारूदी सुरंगों का पता लगाया. इसने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में बारूदी सुरंगों का पता लगाने का काम बहुत जिम्मेदारी के साथ किया.
बारूद सूंघ कर करता है अलर्ट
मगावा को इस तरह से ट्रेनिंग दी गई है कि वह बारूद को सूंघकर वक्त रहते अपने हैंडलर को अलर्ट कर सके. उसने अपनी ड्यूटी के दौरान 38 जिंदा विस्फोटों का पता लगाया और हजारों लोगों की जान बचाई.
चूहे की ट्रेनिंग
मगावा एक ट्रेंड चूहा है. उसे एपीओपीओ नामक संगठन ने ट्रेनिंग दी थी. यह संगठन चूहों को बारूदी सुरंगों और अस्पष्टीकृत विस्फोटों का पता लगाने के लिए ट्रेनिंग देता है. मगावा ने 1,41,000 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन की पड़ताल की है जो कि 20 फुटबॉल मैदानों के बराबर है.
मिल चुका है मेडल
मगावा को उसके काम के लिए ब्रिटिश चैरिटी द्वारा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. ब्रिटिश चैरिटी का जानवरों के लिए शीर्ष पुरस्कार जो अब तक विशेष रूप से कुत्तों के लिए आरक्षित था मगावा वह अपने नाम कर चुका है.
पांच साल काम और फिर रिटायरमेंट
मगावा अपनी और सेवा दे सकता है लेकिन उसे पांच साल के काम के बाद ही रिटायर किया गया है. एपीओपीओ का कहना है, “हालांकि वह अभी भी अच्छे स्वास्थ्य में है, वह सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच गया है और जाहिर तौर वह सुस्त हो रहा है.”
मगावा ने काम से जीता दिल
मगावा की हैंडलर कहती हैं कि उसने अपनी सेवा में बेहतरीन काम किया है और अपनी बहादुरी से हजारों लोगों की जान बचाई है. वे कहती हैं, “वह छोटा है लेकिन मुझे उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने पर गर्व है.”
रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी
सेवानिवृत्ति के बाद मगावा उसी पिंजरे में रहेगा जिसमें वह ड्यूटी के दौरान रहता था. उसकी दिनचर्या भी वैसी ही रहेगी. एपीओपीओ की प्रवक्ता लिली शैलॉम कहती हैं कि उसे उसी तरह का भोजन मिलेगा, खेलने का समय मिलेगा. नियमित व्यायाम और उसकी स्वास्थ्य जांच भी होगी.
Source: DW