माओरी जनजाति: न्यूज़ीलैंड का वो आदिवासी समुदाय जो खोपड़ियों को संग्रहित करने के लिए जाना जाता है

J P Gupta

दुनिया में कई प्रकार के आदिवासी समुदाय हैं. इनकी कुछ अनोखी परंपराएं होती हैं जिन्हें आम लोग हैरत से देखते हैं. ऐसा ही एक आदिवासी समुदाय था न्यूज़ीलैंड में जिसका नाम था ‘माओरी‘. इनके यहां अपने समुदाय के लोगों के मरने के बाद उनके सिर को संग्रहित करने की अनूठी परंपरा थी.

ख़ास प्रकार से संग्रहित कर के रखी जाने वाली इन खोपड़ियों को मोकोमोकई कहा जाता था. इस आदिवासी समुदाय और इसकी इस अजीब परंपरा के बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे.

Maori जनजाति 

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Maori जनजाति के लोग न्यूज़ीलैंड में 1300 ईस्वी से रह रहे हैं. इस आदिवासी समुदाय के प्रतिष्ठित लोगों के चेहरे पर ख़ास प्रकार के टैटू बने होते थे. मिस्र के फ़राओं की तरह ही ये भी मरने के बाद उनके शरीर के अंगों को संरक्षित कर के रखते थे, लेकिन इकी परंपरा उनसे काफ़ी जुदा थी. इनके समुदाय में जब भी कोई ऊंचे पद पर आसीन शख़्स या फिर सरदार मर जाता था तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था. इसके बाद उसकी खोपड़ी से आंख और दिमाग़ आदि निकाल लिए जाते थे. इसे गरम पानी में उबाल कर  साफ़ कर लिया जाता था.

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पानी में उबालते थे खोपड़ी

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इसके बाद इसमें एक ख़ास प्रकार का पदार्थ भरा जाता था. फिर इन्हें पानी में उबाला जाता या फिर भट्टी की आंच में पकाया जाता. ये करने के बाद इन्हें कई दिनों तक धूप में सुखाया जाता था. सूखने के बाद पर वही टैटू बना दिए जाते थे जो उनकी पहचान हुआ करते थे. फिर इस पर शार्क का तेल लगा कर संग्रहित किया जाता था. ये खोपड़ियां उनके परिवार वालों के पास होती थी. इन्हें कुछ ख़ास मौक़ों पर बाहर निकाला जाता था.   

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समय के साथ इन्होंने अपने दुश्मनों की खोपड़ियों के भी मोकोमोकई बनाने शुरू कर दिए थे. ये उनकी ताकत का प्रतीक होते थे. कुछ समय बाद इन्होंने इन खोपड़ियों को यूरोप के बाज़ारों में आधुनिक हथियार और अपने प्रतिद्वंदी को अपमानित करने के उद्देश्य से बेचना शुरू कर दिया. मगर यहां एक पेंच है माओरी जनजाति ने कभी अपने लोगों के मोकोमोकई बाज़ार में नहीं बेचे. वो हमेशा अपने दुश्मनों और गुलामों के ही सिर बाज़ार में बेचते थे. 

इनके व्यापार पर लगा बैन

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मसकट युद्ध के आस-पास इनकी डिमांड मार्केट में बहुत थी. साल 1831 में साउथ वेल्स के गवर्नर ने इनके व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था. गवर्नर सर राल्फ़ डार्लिंग ने आदेश जारी किया कि कोई भी मोकोमोकई न्यूज़ीलैंड से बाहर व्यापार के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. न्यूज़ीलैंड के अलावा भारी मात्रा में ये सिर इंग्लैंड की सेना के मेजर जनरल Horatio Gordon Robley के पास भी थे.

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वो टैटू आर्ट के दीवाने थे. उनके इसी शौक़ के चलते Robley के पास 35 सिर थे. इनके टैटू पर उन्होंने एक क़िताब भी लिखी थी. ये बुक 1896 में प्रकाशित हुई थी. 1908 में Robley ने इन खोपड़ियों को न्यूज़ीलैंड सरकार को वापस करने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. आजकल मोकोमोकई यानी ये अनोखी खोपड़ियां कई म्यूज़ियम्स की शान बढ़ा रही हैं. 

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