हम अक्सर छोटी-छोटी चुनौतियों से घबरा जाते हैं. कुछ लोग तो हमेशा अपनी ज़िंदगी को कोसते रहते हैं. हमारे पास ये नहीं है, इसिलए हम वो नहीं कर सकते. काश, मेरे पास उसके जैसी सुविधाएं होती, तो आज हम ऐसा कर रहे होते. इस सोच ने आज इंसानी चेहरों को शिकायती बॉक्स में तब्दील कर दिया है, वो बॉक्स जिसमें ज़िंदगी की सारी ख़ुशियां बंद हो गई हैं.
मग़र कुछ लोग निक सेंटोनास्टासो जैसे भी होते हैं, जो वास्तव में कमी होने के बावजूद ज़िंदगी को भरपूर जीते हैं. निक सेंटोनास्टासो वो शख़्स हैं, जिनके बचपन से ही एक हाथ और दोनों पैर नहीं है. लेकिन इसके बावजूद आज वो एक सफ़ल बिज़नेसमैन, बॉडी बिल्डर, मॉडल, मोटिवेशनल स्पीकर और इंटरनेट सेंसेशन हैं.
बीमारी ने अंगों को बढ़ने से रोका, पर हौसला नहीं कम कर पाई
निक सेंटोनास्टासो, हैनहार्ट सिंड्रोम नाम की दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा हुए थे. इस बीमारी में इंसान के शरीर के अंग पूरी तरह से बढ़ नहीं पाते हैं. निक के साथ भी ऐसा हुआ और वो एक हाथ और बिना पैरों के पैदा हुए. ऐसे हालात में भी निक ने हार नहीं मानी. अंगों की कमी को उन्होंने बढ़े हौसले के साथ पूरा किया.
दरअसल, कम उम्र में ही निक को उनके माता-पिता ने ये एहसास करा दिया था कि वो हमेशा उनके साथ नहीं रहने वाले और न ही ये दुनिया उनके लिए रूकने वाली है. ऐसे में उन्हें एक हाथ और दोनों पैरों के बिना ही आगे बढ़ना होगा.
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निक कहते हैं कि ‘मैं नहीं कर सकता सोचने के बजाय हालात को देखकर गहरी सांस लें और कहें, ठीक है. कैसे मैं इस बैरियर को तोड़कर सफ़ल होऊंगा?’ निक कहते है कि ‘आपकी सीमा वही है, जो आप ख़ुद के लिए तय करते हैं.’
स्पोर्ट्स और एडवेंचर में तलाशी आगे की राह
एक बार जब निक ने ज़िंदगी की चुनौतियों से मुकाबला करने की ठान ली, तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. उन्होंने स्केटबोर्डिंग से शुरुआत की, जहां उन्होंने अपने पेट के बल पर सवार होना शुरू कर दिया. लाइफ़ में कई बार ऐसा भी समय आया, जब वो निराश हुए, लेकिन उन्होंने हारने के बजाय लड़ते रहने का तय किया.
उन्होंने बताया कि वो मिडिल स्कूल और हाईस्कूल के दिनों में काफ़ी निराश हो गए थे. उस वक़्त उन्होंने महसूस किया कि उन्हें किसी टीम या फिर एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिवटी करने की ज़रूरत है, जो उनमें नया जोश भरे. ऐसे में उन्होंने कुश्ती लड़ना शुरू कर दिया. एक हाथ और बिना पैरों के वो कुश्ती लड़ते थे. इस एक चीज़ ने उन्हें ज़िंदगी की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए और भी मज़बूत कर दिया.
उसी दौरान उन्होंने ऑनलाइन कॉमेडी शुरू की. बाद के दिनों में निक ने बॉडी बिल्डिंग, मॉडलिंग में भी हाथ आज़माया. जिसके बाद उन्होंने अपनी बुक ‘Victim to Victor’ भी लिखी. निक ने जिस भी फ़ील्ड में क़दम रखा, उसमें सफ़लता के झंडे गाड़े. सोशल मीडिया पर भी वो हमेशा लोगों का ध्यान खींचते हैं. इंस्टा पर उनके 6 लाख से भी ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं.
निक सेंटोनास्टासो जैसे लोग इस बात का सबूत हैं कि अपंगता, असल में शारीरिक रूप से किसी कमी के होने को नहीं, बल्कि चुनौतियों से मानसिक तौर पर हारने को कहते हैं.