अपने घर में पुरानी प्लास्टिक की बोतलें रीयूज़ कर रहे हो, तो आपको ये जानकारी ज़रूर पढ़नी चाहिए

Vidushi

Plastic Bottles Usage Disadvantages : आमतौर पर भारतीय घरों में हमने प्लास्टिक की बोतलों (Plastic Bottles) को रीयूज़ करते देखा होगा. आपके घरों के फ्रिज में भी काफ़ी समय पहले की आई पेप्सी या कोक की बोतलें अभी तक चल रही होंगी. ज़्यादातर लोग इन्हें तब तक यूज़ करते रहते हैं, जब तक वो ख़राब ना हो जाएं. कभी-कभी ट्रेन में मिलने वाली प्लास्टिक की बोतलों को भी हम घर ले आते हैं और उन्हें धो कर घर के फ्रिज में पानी की बोतल के तौर पर रोज़ाना इस्तेमाल करने लगते हैं.

पर क्या आप जानते हैं कि आप इन प्लास्टिक की बोतलों को कितने समय तक यूज़ कर सकते हैं? या जो बोतलें आप मार्केट से ख़रीदते हैं, उनके स्टोर करने की कितनी लिमिट होती है? अगर आपके पास इन सभी सवालों का जवाब नहीं है, तो आपको ज़रूर जान लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा करके आप कहीं ना कहीं ख़ुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं.  

timesofindia

आप प्लास्टिक की बोतलों को कितने समय तक यूज़ कर सकते हैं, उसके बारे में जानने का एक बेहद सिम्पल तरीका होता है. आप इसे बोतल के नीचे दिए गए नंबर्स के ज़रिए पता लगा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: अक्सर आपने प्लास्टिक स्टूल में छेद बना देखा होगा, कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

क्या होते हैं ये नंबर्स?

आपने शायद ही कभी गौर किया हो, लेकिन आपकी बोतल के नीचे एक ट्रायंगल शेप बनी होती है. ज़्यादातर ये नंबर इसी ट्रायंगल के अंदर होता है. ये किसी भी चीज़ को रीसाइकिल करने का यूनिवर्सल कोड है, जिसे रेज़िन आईडेंटिफ़िकेशन कोड (Resin Identification Code) के नाम से जाना जाता है. इसे यूनाइटेड स्टेट्स के तीसरे सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ‘सोसायटी ऑफ़ प्लास्टिक इंडस्ट्री’ ने शुरू किया था. अब RIC अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन एएसटीएम इंटरनेशनल द्वारा आधिकारिक तौर पर प्रशासित किया जा रहा है.

businessinsider

हर तरह की प्लास्टिक के लिए अलग होते हैं नंबर्स

अगर आप हर तरह की प्लास्टिक के दुष्परिणाम और उपयोग को समझेंगे, तभी आपको समझ आएगा कि कौन सी प्लास्टिक आपके लिए ठीक है और कौन सी प्लास्टिक आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है.

spg-pack

नंबर 1 प्लास्टिक का टाइप

जूस, सॉफ्ट ड्रिंक या पानी की बोतलें, इन सभी बोतलों में जो प्लास्टिक यूज़ होता है, वो नंबर 1 प्लास्टिक के टाइप में आता है. इसे PET यानि पोलीइथायलीन टैरीपिथालेट कहते हैं. इस तरह के प्लास्टिक के पास बैक्टीरिया एकत्रित करने की क्षमता होती है. इसका मतलब अगर आप इस तरह की प्लास्टिक को ज़्यादा समय तक यूज़ करेंगे तो ये काफ़ी हानिकारक हो सकती है.

timesofindia

नंबर 2 प्लास्टिक का टाइप

डिटर्जेंट, बटर के कंटेनर या दूध के प्लास्टिक जगों में इस तरह की प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. इसे HDPE यानि हाई डेंसिटी पोलीइथायलीन कहते हैं. ये नंबर 1 के प्लास्टिक टाइप से थोड़े मोटे होते हैं. इन्हें स्टोरेज के लिए रीयूज़ किया जा सकता है, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया एकत्रित होने का जोखिम थोड़ा कम होता है. ये भी रीसाइकिल किया जा सकता है.

indiamart

नंबर 3 प्लास्टिक का टाइप

इस तरह की प्लास्टिक PVC पाइप और ट्यूब में यूज़ होती है. इसे प्लंबिंग और बाकी चीज़ों के लिए भी उपयोग में लिया जाता है. हालांकि, इस तरह की प्लास्टिक में फ़ूड आइटम्स कुक करने या उसमें खाना स्टोर करने की सलाह बिल्कुल भी नहीं दी जाती है. ऐसा करने से आपकी बॉडी को काफ़ी सीरियस प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह के प्लास्टिक को PVC यानि पोलीविनायल क्लोराइड के नाम से जाना जाता है.

varunpiping

नंबर 4 प्लास्टिक का टाइप

इसे LDPE या लो डेंसिटी पोलीइथायलीन भी कहते हैं. ये ज़्यादातर सब्जियों के लिए रखने वाली पोलीथीन, फ़ूड रैप और ब्रेड बैग में यूज़ होती है. इसे स्टोरेज के लिए सेफ़ माना जाता है, लेकिन रीसाइकिल करने के लिए इसे एक्सेप्ट नहीं किया जाता है.  

thequint

नंबर 5 प्लास्टिक का टाइप

इसे PP या पोलीप्रोपायलीन कहते हैं. ये ज़्यादातर केचअप की बोतल या मेडिसिन कंटेनर में इस्तेमाल की जाती हैं. ये स्टोरेज के लिए सेफ़ हैं और रीसाइकलिंग के लिए एक्सेप्ट की जाती हैं.

amazon

नंबर 6 प्लास्टिक का टाइप

डिस्पोज़ किए जाने वाले प्लास्टिक के कप, प्लेट और बर्तनों में इस तरह की प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. इसे काफ़ी ख़तरनाक माना गया है, क्योंकि ये टॉक्सिक केमिकल्स छोड़ती है, ख़ासतौर पर जब इसे गर्म किया जाता है. ये रीसाइकिल भी काफ़ी मुश्किल से हो पाती है. इसे PS या पोलीस्टायरीन कहा जाता है.

indiamart

ये भी पढ़ें: गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने में लगा है ये ‘चायवाला’, प्लास्टिक के बदले देता है मुफ़्त पौधे

नंबर 7 प्लास्टिक का टाइप

इस तरह की प्लास्टिक का 1987 के बाद आविष्कार किया गया था. इसमें पोलीकार्बोनेट्स से लेकर बाइसफेनोल से लेकर कोई भी चीज़ शामिल हैं. इस तरह की प्लास्टिक को अपने रिस्क पर ही यूज़ करें, क्योंकि ये काफ़ी ख़तरनाक होती है. इसे किसी फ़ूड की स्टोरेज के लिए तो बिल्कुल भी यूज़ ना करें.

timetocleanse.com
आपको ये भी पसंद आएगा
पूर्णा सांथरी: आंखों की रोशनी खोने के बावजूद नहीं मानी हार, IAS बनकर किया मां-बाप का नाम रौशन
बचपन में जिन पेन्सिल की ब्रांड नटराज और अप्सरा को यूज़ करते थे, क्या जानते हो वो सेम कंपनी है?
बस ड्राइवर की बेटी उड़ाएगी एयरफ़ोर्स का जहाज, पाई ऑल इंडिया में दूसरी रैंक, पढ़िए सक्सेस स्टोरी
पहचान कौन? बॉलीवुड का डायरेक्टर जिसके नाम नहीं है एक भी फ्लॉप फ़िल्म, संजय दत्त को बनाया सुपरस्टार
दिल्ली मेट्रो में महिलाओं ने किया कीर्तन, Viral वीडियो देख लोग बोले- ‘लड़ाई-झगड़े से बेहतर है’
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन