फ़िल्मों जितना हलवा नहीं है ‘कोर्ट मैरिज’ करना, हक़ीक़त में इतना तामझाम करना पड़ता है

Abhay Sinha

बॉलीवुड फ़िल्में आम लोगों का बेड़ागर्क करे पड़ी हैं. इश्क़-मोहब्बत के साथ तो इस क़दर खिलवाड़ मचा रखा है कि पूछो मत. मतलब शादियां देखिए कैसे दिखाते हैं. हीरो, होरोइन को लेकर घर से भागा और सीधा कोर्ट में शादी मना ली. वो भी दुइये मिनट में. फिर सीधा स्विट्ज़रलैंड में गाना, पप्पी-झप्पी अलग से. 

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मगर हक़ीक़त में ऐसा नहीं होता गुरू. असल ज़िंदगी में ऐसे कोर्ट पहुंचे तो लपड़िया दिए जाओगे. अमा समझने वाली बात है, जब यहां दो मिनट में मैगी नहीं बनती, तो फिर शादी कैसे मना लोगे. क़ानून नाम की भी कोई भी चीज़ होती है कि नहीं?

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अब हम आपके अपने हैं, तो सोचे क्यों न आज कोर्ट मैरिज का पूरा मामला समझा दें. ताकि, आपके मन में जब इश्क़ को मुक़ाम तक पहुंचाने का ख़्याल आए, तो पूरी प्रक्रिया माइंड में एकदम क्लियर हो.

पहले जान लो, कौन कर सकता है कोर्ट मैरिज?

अपने देश का क़ानून मस्त है. इसलिए कोर्ट मैरिज सभी कर सकते हैं. भारत में ‘स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954’ है. इसके तहत, कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म, संप्रदाय अथवा जाति के व्यक्ति कर सकता है. बस बालिग होना चाहिए. मतलब चुन्नू बराबर उम्र में इश्क़ कितना ही चर्राए, पर शादी नहीं होगी. लड़का 21 और लड़की 18 की जब तक न हो जाए, तब तक शादी की चुल्ल शांत रखनी होगी.

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साथ ही, किसी विदेशी व भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है. कोर्ट मैरिज में किसी तरह की कोई धार्मिक पद्धति नहीं अपनाई जाती. इसके लिए दोनों पक्षों को सीधे ही मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होता है.

अब जान लो पूरी प्रक्रिया

– सबसे पहले जिनको शादी करनी है, उन्हें मैरिज रजिस्ट्रार को लिखित में नोटिस भेजना होता है. 

– जिले का रजिस्ट्रार इस नोटिस की एक कॉपी अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाता है, ताकि किसी को आपत्ति हो, तो संपर्क कर ले.

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– आपत्ति करने के लिए 30 दिनों की अवधि होती है. उसमें अगर किसी ने आपत्ति नहीं की, तो रजिस्ट्रार शादी की प्रक्रिया आगे बढ़ा देगा. अगर कोई आपत्ति करता है और रजिस्ट्रार उसे जायज़ पाता है, तो फिर वो शादी कैंसल भी कर सकता है. रजिस्ट्रार द्वारा आपत्ति को स्वीकार करने के ख़िलाफ़ जिला न्यायालय में अपील की जा सकती है.

– कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में या उसके निकट किसी स्थान पर हो सकती है.

– कोर्ट मैरिज करने वालों और गवाहों को लिखित में रजिस्ट्रार को देना होता है कि ये शादी बिना किसी दबाव और ज़बरदस्ती के हो रही है.

कुछ डॉक्यूमेंट्स की भी ज़रूरत पड़ेगी

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दोनों पक्षों के उम्र के प्रमाण के तौर पर जन्म प्रमाण पत्र या दसवीं की मार्कशीट. जिला न्यायालय में आवेदन पत्र के संबंध में भुगतान की गई फ़ीस की रसीद. आवास व पहचान प्रमाण पत्र. लड़का और लड़की को हलफ़नामा देना होगा, जिसमें उनकी वर्तमान वैवाहिक स्थिति यानि कि वो अविवाहित / विधुर / तलाकशुदा वगैरह हैं. तलाकशुदा के मामले में तलाक का आदेश और विधवा के मामले में पहले के जीवन साथी का मृत्यु प्रमाण पत्र लगाना होगा. चार फ़ोटोग्राफ़ भी लगेंगे. दो लड़के और दो लड़की के, जिन्हें राजपत्रित अधिकारी ने सत्यापित किया हो.

विदेशी नागरिक के मामले में आवश्यक दस्तावेज 

पासपोर्ट-वीज़ा की कॉपी. संबंधित दूतावास से एनओसी या वैवाहिक स्थिति प्रमाण पत्र. दोनों पार्टियों में से एक को 30 या अधिक दिनों के लिए भारत में रहने के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए (निवास का प्रमाण या संबंधित एसएचओ से रिपोर्ट). 

बस कोर्ट मैरिज के लिए इतना ही चाहिए. फिर तो सब शुभ-मंगल है ही. बस, कुछ खड़ूस रिश्तेदारों से सावधान रहिएगा. क्योंकि, उन्हें शादी की बिरयानी नहीं मिली, तो ससुरे कुछ भी रायता फैला सकते हैं. 

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