जानना चाहते हो कि आखिर ट्रेन की पटरियों पर कभी जंग क्यों नहीं लगती है?

Akanksha Tiwari

बचपन से लेकर अब तक कई बार रेलवे से सफ़र कर चुकेंगे. फिर भी अब तक इससे जुड़ी कई बातें नहीं जानते हैं. जैसे रेलवे के डिब्बे पर X का निशान क्यों होता है?  क्या वजह है जो रेल की पटरी पर जंग नहीं लगती है? ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब लोगों के पास नहीं है.

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आइये सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ट्रेन की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगती है? 

रिपोर्ट के मुताबिक, रेल की पटरी बनाने के लिये एक ख़ास क़िस्म की स्टील का उपयोग किया जाता है. स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियां तैयार की जाती हैं. स्टील और मेंगलॉय के मिश्रण को मैंगनीज़ स्टील कहा जाता है. इसमें 12 प्रतिशत मैंगनीज़ और 1 प्रतिशत कॉर्बन मिला होता है.
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ऐसा माना जाता है कि स्टील में मौजूद मिश्रण की वजह से ही ट्रेन के ट्रैक का ऑक्सीकरण काफ़ी धीमी गति से होता है. इसका परिणाम ये होता है कि ट्रेन की पटरियों पर सालों-साल जंग नहीं लगती.  

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वहीं अगर ट्रेन के ट्रैक को आम लोहे से बनाया जाये, तो हवा और नमी के कारण उसमें जंग लग जायेगी. जंग लगने से रेल की पटरी को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ेगा और इसमें ख़र्च भी काफ़ी है. इसी ख़र्च और समय को बचाने के लिये रेल ट्रैक बनाने के लिये स्टील, कॉर्बन और मैंगनीज़ का उपयोग होता है.  

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आपको बता दें कि हिंदुस्तान में ट्रेन की शुरुआत अंग्रेज़ों द्वारा की गई थी. इसलिये उस समय रेल की पटरियों को बनाने के लिये जंगविरोधी धातुओं का यूज़ किया गया. यही कारण है कि आज भी उस दौर के रेलवे ट्रैक मजबूत और जंगविरोधी बने हुए हैं. हांलाकि, हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो सोचते होंगे कि पहियों के घर्षण बल के कारण जंग नहीं लगती है, पर ऐसा नहीं है.  

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ट्रेन के पटिरयों पर जंग क्यों नहीं लगती है, उसकी असली वजह वही है, जो हमने आपको बताई और अब आप ये जानकारी बाक़ी लोगों से भी साझा कर सकते हैं. 

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