ये हैं वो दाने जिनसे निकला था मुहावरा ‘रत्ती भर’ और जिनसे मापा जाता था कभी सोना

Nripendra

हिंदी भाषा में मुहावरों का इस्तेमाल भी किया जाता है. ये भाषा को ख़ूबसूरत बनाने का काम करते हैं. वहीं, कुछ मुहावरे ऐसे होते हैं, जिनके पीछे की कहानी या जिसका सही मतलब बहुत लोगों को पता नहीं होता. अब ज़रा ‘रत्ती भर’ मुहावरे को ही ले लीजिए. बहुत लोगों को ‘रत्ती’ के बारे में पता नहीं होगा. कोई नहीं, हम आपको अपने इस लेख में ‘रत्ती’ के विषय में भी जानकारी देंगे और बताएंगे इसकी ख़ासियत.    

रत्ती के दाने   

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इस तस्वीर में आप जिन काले और लाल छोटे-छोटे दानों को देख रहे हैं, इन्हें ही रत्ती के दाने कहा जाता है. इन्हीं दानों से ही निकला है ‘रत्ती भर’ मुहावरा. है न दिलचस्प! रत्ती का पेड़ होता है, जिस पर ये छोटे-छोटे मोती समान दाने निकलते हैं.   

पक कर झड़ जाते हैं   

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इसे ‘गूंजा’ के नाम से भी जाना जाता है. अगर आप रत्ती के पेड़ को देखेंगे, तो पेड़ से लटकती हुई फलियां नज़र आ जाएंगी, जिन के अंदर ये छोटे-छोटे खूबसूरत दाने होते हैं. जानकारी के अनुसार, ये ज्यादातर पहाड़ी इलाक़ों में पाए जाते हैं. जब ये बीज पक जाते हैं, तो अपने आप पेड़ से झड़ने लगते हैं.   

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मापा जाता था सोना   

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पुराने ज़माने में आज की तरह वस्तु को तोलने के लिए आधुनिक मशीनें नहीं थीं. लेकिन, सोने का चलन उसी वक्त भी था और सोने को मापने के लिए इन्हीं रत्ती के दानों का इस्तेमाल किया जाता था. आज भी कई जगह सोने को मापने के लिए रत्ती का इस्तेमाल किया जाता है.  

क्यों इस्तेमाल किया जाता था सोना मापने के लिए?   

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आपके जे़हन में यह सवाल आ सकता है कि सोना मापने के लिए इन्हीं बीजों का इस्तेमाल क्यों किया जाता था? तो इसका जवाब यह है कि इन बीजों का वज़न हमेशा एक बराबर ही रहता है. यही वजह है कि इन्हें सोना मापने के लिए सोनार इनका इस्तेमाल किया करते थे. जानकारी के लिए बता दें कि 1 रत्ती का दाना लगभग 0.121497 ग्राम का होता है.   

मौजूद होते हैं कुछ औषधीय गुण   

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माना जाता है कि रत्ती के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक हो सकते हैं. वहीं, इसकी जड़ का भी इस्तेमाल भी कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है. कई जगहों में ब्रोंकाइटिस और हेपेटाइटिस के घरेलू नुस्ख़े के रूप में रत्ती की जड़ के काढ़े का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, कई जगहों पर रत्ती का इस्तेमाल सांप के काटे के लिए भी किया जाता है.   

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इसके अलावा, झड़ते बालों की समस्या को रोकने के लिए तिल के तेल में रत्ती के बीजों के चूर्ण के उपयोग का भी जिक्र मिलता है. हालांकि, स्वास्थ्य के लिए किसी भी तरह से रत्ती का उपयोग करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें. 

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