Raymond Success Story: 100 साल पुराना है रेमंड का इतिहास, जानिए कैसे बना भारतीयों की पहली पसंद

Abhay Sinha

Raymond Success Story: आज़ादी से पहले के कई देसी ब्रांड ऐसे हैं, जिनके नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है. ऐसा ही एक भारतीय ब्रांड रेमंड भी है, जिसके कपड़ों की क्वालिटी का कोई जवाब नहीं है. एक दौर तो ऐसा भी था, जब बेहतरीन कपड़ों का मतलब ही रेमंड माना जाता था. 100 साल से पुराना ये ब्रांड आज भी लोगों के बीच उतना ही पॉपुलर है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे रेमंड ने अपनी ये शोहरत हासिल की और इतना ज़्यादा सफ़ल हुआ. (Raymond History)

100 साल पहले वुलन मिल के तौर पर शुरू हुआ रेमंड

रेमंड की स्थापना साल 1900 में ‘वुलन मिल’ के तौर पर हुई थी. महाराष्ट्र के ठाणे में इसकी पहली फ़ैक्ट्री लगी थी, जिसका नाम था ‘वाडिया मिल’. बाद में इसे ‘सासून घराने’ ने ख़रीद लिया और 1925 में इसे नाम मिला ‘रेमंड वुलन मिल’. साल 1940 में एक बार फिर रेमंड बिका और इस बार इसे कानपुर की ‘सिंघानिया फ़ैमिली’ ने ख़रीदा.

जेके ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के मालिक ‘कैलाश पत सिंघानिया’ ने रेमंड को खरीदने के बाद सस्ते वुलन कपड़े बनाने शुरू किए. उन्होंने रेमंड पर काफ़ी फ़ोकस किया. इसका पहला रिटेल शो-रूम 1958 में मुंबई में खोला गया. 1960 तक आते-आते रेमंड देश की पहली ऐसी मिल बन गई, जहां पर कपड़ा विदेशी मशीनों से तैयार किया जाता था. 1966 में कंपनी रेडीमेड कपड़ों के मैदान में उतरी. इसके बाद 1969 में जैकेट्स भी उतार दी गईं, जो धीरे-धीरे लोगों की पसंद बनती गई. ‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फ़ील्स लाइक हैवन’ तक हर बार इसी टैगलाइन ने लोगों को रेमंड से जोड़ा. (Raymond Taglines)

विजयपत सिंघानिया ने 1980 में रेमंड कंपनी की कमान संभाली. उसके बाद इसका स्वरूप आधुनिक हो गया. 1986 में सिंघानिया ने रेमंड का प्रीमियम ब्रांड पार्क एवेन्यु लॉन्च किया. फैशनेबल कपड़ों की नई रेंज लॉन्च की. 1990 में देश के बाहर ओमान में कंपनी का पहला विदेशी शो रूम खोला. रेमंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन बनते ही उन्होंने अपने कुशल प्रबंधन से अपने पारिवारिक व्यवसाय को शिखर पर पहुंचा दिया था. इस कंपनी के बनाए गए ऊनी कम्बल पश्चिम के कई देशों में बहुत भरोसेमंद माने जाते हैं.

तैयार किया बाल से पतला फ़ेब्रिक

कंपनी ने 11.4 माइक्रोन से एक ऐसा फेब्रिक तैयार किया था जो इंसान के बाल से भी पतला था. कंपनी के नाम इसका रिकॉर्ड भी दर्ज है. अब ये कंपनी इंजीनियरिंग और रीयल स्टेट तक पांव पसार चुकी है. ख़ास बात ये है कि जिस पार्क एवेन्यू ब्रांड का नाम आप सुनते हैं वो रेमंड का ही ब्रांड है, आज भी ये ग्रुप सिंघानिया फ़ैमिली के पास ही है. रेमंड के आज 600 शहरों में क़रीब 1500 से ज़्यादा आउटलेट्स हैं.

ये भी पढ़ें: नीलकमल: कभी बटन बनाने से की शुरुआत, आख़िर कैसे बनी ये भारतीयों की कुर्सी का फ़ेवरेट ब्रांड?

आपको ये भी पसंद आएगा