दिल्ली में सालों से रहने वालों को भी इन 6 ऐतिहासिक जगहों के बारे में पता नहीं होगा

Akanksha Tiwari

दिल्ली शहर ऐतिहासिक धरोहरों के लिये जाना जाता है. इस शहर में बहुत सी ऐसी ऐतिहासिक जगहें हैं, जो न सिर्फ़ देश, बल्कि दुनियाभर में काफ़ी प्रचलित हैं. अगर आप इस शहर के रहने वाले हैं, तो अकसर आप इन जगहों पर जाते भी रहते होंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक से दिल्ली की ऐतिहासिक जगहों का ज़िक्र क्यों? तो बात ऐसी है कि दिल्ली में सालों से रहते हुए भी दिल्लीवालों को कुछ ऐतिहासिक जगहों की ख़बर नहीं है.  

इसीलिये हमने सोचा आपको इन जगहों की जानकारी दे देते हैं, ताकि इस वीकेंड आपको घूमने के लिये नई जगहें मिल जायें.  

1. रज़िया-अल-दीन मकबरा   

दिल्ली की पहली बहादुर महिला शासक रज़िया बेगम सुल्तान का मकबरा दिल्ली में एक रहस्य की तरह है, जिसके बारे में कुछ ही लोगों को जानकारी है. तुर्कमान गेट के पास स्थित रज़िया सुल्तान की क्रब गुमनाम चीज़ों की तरह है, जिसका ज़्यादा ज़िक्र न होने की वजह से लोगों का वहां कम आना-जाना है. कहते हैं कि रज़िया सुल्तान और उनके पति अल्तुनिया की सेना ने उनसे बगावत कर उन्हें यहीं मार गिराया था, जिसके बाद रज़िया को यहीं दफ़्न कर दिया गया.


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 8.30 बजे लेकर शाम 6.30 बजे तक   

2. ग़ालिब की हवेली 

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी लिख कर लोगों की वाह-वाही लूटने वालों को भी शायद, शायरियों के शंहशाह की इस हवेली के बारे में नहीं पता होगा. मिर्ज़ा ग़ालिब की ये हवेली कासिम जान बल्लीमारान नामक गली में बसी है, जिसका ख़ूबसूरत सा गेट देख कर मन ख़ुश हो जाता है. ग़ालिब की हवेली पर जाकर आपको उनके बारे वो सभी चीज़ें जानने को मिलेंगी, जो वो शायरियों और कविताओं के ज़रिये लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते थे.


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 9 बजे लेकर शाम 5 बजे तक  

3. इल्तुतमिश का मकबरा 

बहुत से लोगों के लिये नाम नया हो सकता है, पर इसका इतिहास काफ़ी पुराना है. कुतुब मिनार स्थित प्राचीन दिल्ली की ये यादगार क्रब, उसकी सादगी और वास्तुकला के लिये जानी जाती है. काफ़ी लोगों को इसके बारे में इसलिये भी पता नहीं है, क्योंकि कुछ साल पहले ही इसे पर्यटकों के लिये खोला गया है. अगर आपको इतिहास में दिलचस्पी है, तो यहां जा कर अच्छा लगेगा.


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 6 बजे लेकर शाम 6 बजे तक   

4. गंधक की बावली 

गंधक की बावली का निर्माण 13वीं शताब्दी में कराया गया था. महरौली स्थित ये बावली शहर का सबसे पुराना और बड़ा कुआं है. कुएं में सल्फ़र मिले होने की वजह से इसमें गंधक की गंध आती है. प्राचीन समय से ही कुएं के पानी को काफ़ी गुणकारी माना जाता है और इसे बनाने का श्रेय सम्राट इल्तुतमिश को दिया जाता है.  


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 9 बजे लेकर शाम 6 बजे तक 

5. दादी- पोती गुंबद  

दिल्ली का हौज़ ख़ास वीकेंड पर चकाचक भरा दिखाई देता है, लेकिन शायद वहां जाने और रहने वालों को दादी- पोती गुंबद के बारे में नहीं पता होगा. इस ऐतिहासिक स्मारक के बारे में किसी के पास ज़्यादा जानकारी, तो नहीं है. पर कहते हैं इसके अंदर दादी-पोती का मकबरा है, जो 15वीं शताब्दी में बनवाया गया था.


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 9 बजे लेकर शाम 6 बजे तक   

6. किला राय पिथौरा  

पृथ्वी राज चौहान द्वारा बनवाये गये इस किले को किला राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है. महरौली के पास बने इस किले को 11वीं शताब्दी में गया था, जिसके अंदर पृथ्वी राज चौहान की प्रतिमा भी देखी जा सकती है. किले की हालत को देखते हुए, इसे हेरिटेज पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है.


कब से कब तक जा सकते हैं- सुबह 7 बजे लेकर शाम 7 बजे तक   

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