जब आप दुखी हों, जब कोई पास न हो और लाइफ़ आपको बोरिंग लगने लगे तब आपके चेहरे पर मुस्कान कौन लेकर आता है? ये है आइसक्रीम. ये आपके सुख-दुख का साथी होती है. इन्हीं में से एक है Vadilal आइसक्रीम जो आज़ादी से पहले से हमारे आइसक्रीम की भूख को शांत करती आ रही है.
आज ये दुनिया के टॉप आइसक्रीम ब्रैंड्स में से एक है. आज मार्केट में इसकी 200 से भी अधिक वैरायटी मौजूद हैं. इसके गुजरात वाले प्लांट में रोज़ाना 8 लाख कप, 10 लाख कैंडी, 6 लाख कोन्स, 1 टन ड्राई फ़्रूट्स और 3 टन लिक्विड चॉकलेट की खपत हो जाती है. वर्ल्ड के 45 देशों में इसका स्वाद लोगों का दिल जीत रहा है.
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ऐसे में इस स्वदेशी आइसक्रीम ब्रैंड की सफ़लता की कहानी को जानना वाकई में दिलचस्प होगा. चलिए मिलकर जानते हैं Vadilal का इतिहास और इसकी सक्सेस स्टोरी.
1907 में हुई थी शुरुआत
वाडीलाल आइसक्रीम की शुरुआत 1907 में हुई थी जब आइसक्रीम इंडस्ट्री नाम की कोई चीज़ ही नहीं थी. वाडीलाल गांधी हाथों से आइसक्रीम बनाकर बेचा करते थे. अहमदाबाद में वो कोठी तकनीक से हाथ द्वारा आइसक्रीम बना लोगों तक पहुंचाते थे. वाडीलाल गांधी ने पहले सोडा बेचने का धंधा शुरू किया था मगर वो जमा नहीं तो उन्होंने आइसक्रीम बनाना शुरू कर दिया था.
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1926 में वाडीलाल का पहला आइसक्रीम आउटलेट खुला था
उनकी हाथ की आइसक्रीम लोगों को इतनी पसंद आई कि उन्हें भारी मात्रा में इसके ऑर्डर मिलने लगे. 1926 में उनके बेटे ने इस बिज़नेस में उनका हाथ बंटाना शुरू कर दिया. रणछोड़ लाल गांधी ने इसी साल आइसक्रीम बनाने के लिए मशीनें लगवाई. उन्होंने 1926 में वाडीलाल का पहला आइसक्रीम आउटलेट भी ओपन किया था. अब स्वाद ज़्यादा लोगों तक पहुंचने लगा था, तो इसके आउटलेट तो बढ़ाने ही थे. कुछ ही समय में अहमदाबाद में वाडीलाल आइक्रीम के 4 आउटलेट खुल चुके थे.
कंपनी धीरे-धीरे अपने पैर मार्केट में पसार रही थी. तब 1950 में इन्होंने मौक़ा देखते ही अपनी कसाटा फ़्लेवर आइसक्रीम को मार्केट में उतारा. देखते ही देखते उनका ये फ़्लेवर लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हो गया. अब वाडीलाल आइसक्रीम कंपनी की गिनती देश के बड़ी कंपनियों में होने लगी थी. 1985 आते-आते इसके भारत में कई आउटलेट खुल गए थे. अब कंपनी विदेशी मार्केट में भी उतरने को तैयार थी, सो इन्होंने आइसक्रीम के साथ ही प्रोसेस्ड फ़ूड भी बनाना शुरू कर दिया.
प्रोसेस्ड फ़ूड बनाना भी शुरू किया
1991 में Vadilal Quick Treat नाम से इसके फ्रोज़न स्प्राउट, सब्ज़ियां, फ़्रूट मिठाई और रेडी टू कूक इंडियन फ़ूड बाज़ार में आए. इसका देश-विदेश में सफ़ल होने का प्रमुख कारण था इस आइसक्रीम का वेजिटेरियन होना. कंपनी ने शुरू से ही अपने प्रचार में इस बात पर जोर दिया. कंपनी का दावा है कि उपवास में भी इस आइसक्रीम को खा सकते है. इसलिए वेजिटेरियन लोगों के बीच ये काफ़ी फ़ेमस हुई.
यहां तक कि जब भारत में विदेशी आइसक्रीम की कंपनियां मार्केट में आ गई तब भी इस पर लोगों का भरोसा कायम रहा. अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का ये पसंदीदा ब्रैंड हैं. देश में पहली ऑटोमेटिक कैंडी लाइन और सबसे तेज़ आइसक्रीम कोन बनाने वाली मशीन लाने का श्रेय भी वाडीलाल को जाता है. Vadilal की बरेली और पुंढरा की फ़ैक्ट्री में आइसक्रीम बनाने का काम होता है. प्रोसेस्ड फ़ूड गुजरात के धर्मपुर वाले प्लांट में बनाए जाते हैं.
वक़्त के साथ वाडीलाल ने ख़ुद को बदला इसलिए तो ये आज देश और दुनिया में रहने वाले लाखों लोगों सहित भारतीयों का पसंदीदा आइसक्रीम ब्रैंड है.