कैसे बना भारत का सबसे पॉपुलर बिस्किट Parle-G और क्या है इसकी दिलचस्प कहानी? जान लो

Abhay Sinha

हम चाय के आशिक़ बनने के कितने भी दावे कर लें, लेकिन हक़ीक़त में चाय का सच्चा प्रेमी Parle-G ही है. चाय के नज़दीक आते ही Parle-G ख़ुद को उनकी मोहब्बत के दरिया में डूबने से रोक नहीं पाता. एक पल में गुप से गुल हो जाता है. शायद दोनों के बीच ये रिश्ता ही वजह है कि आज भी बहुत से भारतीयों की सुबह की शुरुआत में चाय के साथ Parle-G भी शामिल होता है. 

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जितना मज़ेदार भारतीयों का Parle-G के साथ रिश्ता है, उतनी ही दिलचस्प इस बिस्किट निर्माता कंपनी पारले की कहानी भी है. एक ट्विटर यूज़र Palak Zatakia ने एक थ्रेड के ज़रिए इस कंपनी और उसके सिग्नेचर प्रोडक्ट के पूरे सफ़र को बयां किया है. 

ऐसे हुई थी Parle कंपनी की शुरुआत 

मोहनलाल दयाल ने मुंबई में 18 साल की उम्र में एक सिलाई की दुकान शुरू की. मगर उनको मिठाई बनाने का भी शौक था. जब उनका बेटा भी उनके साथ उनके बिज़नेस में जुड़ गया तो उन्होंने मिठाईयों के बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल करने की कोशिश की. मिठाई बनाने की कला सीखने के लिए मोहनलाल जर्मनी भी गए. 

साल 1928 में, मोहनलाल दयाल ने ‘House of Parle’ की स्थापना की. इसका नाम Vile Parle उपनगर के नाम पर रखा गया था. पहला कारखाना और प्रारंभिक मशीनरी 1929 में स्थापित की गई थी. उन्होंने सबसे पहले ग्लूकोज़, शुद्ध चीनी और दूध से बनी मिठाई, पेपरमिंट और टॉफी का प्रोडेक्शन शुरू किया. ‘House of Parle’ में परिवार के सदस्यों के साथ सिर्फ़ 12 पुरुष काम करते थे. ये लोग स्वयं ही इंजीनियर, मिठाई बनाने का काम और उत्पादों की पैकेजिंग करते थे. 

पहला बिस्किट 1938 में हुआ तैयार 

‘ऑरेंज बाइट’ टॉफ़ी पारले के पहले उत्पादों में से एक थी. उस वक़्त बिस्किट एक प्रीमियम उत्पाद था और ज्यादातर ब्रिटिश और उच्च वर्ग के भारतीयों द्वारा खाया जाता था. तब ज़्यादातर बिस्किट आयात किए जाते थे. फिर साल 1938 में पार्ले ने अपना पहला प्रोडेक्ट ‘पार्ले ग्लूको’ लॉन्च किया. सस्ता और सुलभ होने के कारण जल्द ही ये भारतीयों में पॉपुलर हो गया. भारत में बना, भारतीयों की पंसद वाला ये बिस्किट ब्रिटिश-ब्रांड वाले बिस्किट के लिए भारत का जवाब था. 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश-भारतीय सेना ने इसकी बहुत मांग की. 1940 के दशक की शुरुआत में, पार्ले ने भारत का पहला Salted Cracker – Monaco का उत्पादन किया. 

1947 में विभाजन के बाद पार्ले को गेहूं की कमी के कारण पार्ले ग्लूको बिस्किट का उत्पादन थोड़े समय के लिए रोकना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने गेहूं के बजाय जौ से बिस्किट बनाना शुरू किया. 1940 के अंत तक, पार्ले ने उस समय दुनिया का सबसे लंबा ओवन बनाया, जो 250 फ़ीट लंबा था. 

Parle Gluco बना ‘Parle-G’ 

इस बीच बाज़ार में कई और ब्रांड्स के बिस्किट ‘ग्लूको’ या ‘ग्लूकोज़’ नाम के साथ लॉन्च हो गए. ब्रिटानिया ने अपना पहला ग्लूकोज़ बिस्किट ब्रांड ग्लूकोज-डी लॉन्च किया. 

अपनी बिक्री को बनाए रखने और बाज़ार में अलग दिखने के लिए पार्ले ग्लूको ने 80 के दशक में अपना नाम बदलकर ‘Parle-G’ कर लिया. साथ ही इसे सफ़ेद और पीले रंग की पट्टियों के साथ एक नए पैकेज में पेश किया, जिस पर ‘Parle-G Girl’ का इलेस्ट्रेशन था, जिसे हम आज भी पैकेट के डिज़ाइन पर देखते हैं. 

पार्ले-जी लड़की कौन है इसके बारे में कई कहानियां हैं, यह हाल ही में स्पष्ट किया गया था कि Parle-G Girl एवरेस्ट क्रिएटिव के कलाकार मगनलाल दइया की कल्पना पर आधारित महज़ एक इलेस्ट्रेशन है. 

1982 में, पार्ले ने दूरदर्शन पर Parle-G के लिए अपना पहला टीवी विज्ञापन “स्वाद भरे, शक्ति भरे, पार्ले-जी” टैगलाइन के साथ लॉन्च किया. 1998 में Parle-G को शक्तिमान में एक अनोखा ब्रांड एम्बेसडर मिला. ओरिजनली Parle-G में ‘G’ का मतलब ‘ग्लूकोज़’ था जिसे बाद में साल 2000 की शुरुआत में ‘जीनियस’ में बदल दिया गया था. 

2009-10 के आंकड़ों के अनुसार, Parle-G की बिक्री चीन में सभी बिस्किट ब्रांड्स की कुल बिक्री की तुलना से ज़्यादा थी, जो दुनिया का चौथा सबसे ज़्यादा बिस्किट कंज़्यूम करने वाला देश है. Nielsen report के मुताबिक़, 2011 तक Parle-G दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाला बिस्किट ब्रांड बन गया था. 

साल 2013 में Parle-G ने ‘कल के जीनियस’ अभियान शुरू किया. कैंपने के जिंगल को गुलज़ार ने लिखा और पीयूष मिश्रा ने अपनी आवाज़ दी. इसी साल Parle-G, 5,000 करोड़ से ज़्यादा की खुदरा बिक्री करने वाला पहला FMCG ब्रांड बन गया. 

आज देशभर में 5 मिलियन से ज़्यादा रिटेल स्टोर हैं 

हाल ही में COVID-19 लॉकडाउन के चलते भी मूल कंपनी की बाज़ार हिस्सेदारी में 5 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है. जिसमें 80-90% की ग्रोथ Parle-G बिक्री का परिणाम है. साल 2019 में TRA’s Brand Trust Report India ‘फूड एंड बेवरेज’ श्रेणी में Parle-G 29वें स्थान पर था. 

आज Parle-G के 130 से अधिक कारखाने हैं और पूरे भारत में 5 मिलियन से अधिक खुदरा स्टोर में मौजूद हैं. Parle-G हर महीने बिस्किट के एक बिलियन से अधिक पैकेट का उत्पादन करता है. Parle-G आज भी भारत के सबसे दूरस्थ भागों में उपलब्ध है, जहां कोई अन्य बिस्किट उपलब्ध नहीं है. 

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