राजस्थान के ब्रिजराज भवन पैलेस को क्यों कहते हैं ‘भूतिया हवेली’, जानना चाहते हो इसकी भुतहा कहानी?

Kratika Nigam

राजस्थान में वैसे तो कई भुतहा जगहें हैं, जहां जाने में अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. इनमें भानगढ़ का क़िला, कुलधरा गांव और एक है कोटा का ब्रिजराज भवन पैलेस, जिसे ‘भूतिया हवेली’ के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेज़ों के समय की इस हवेली को अब होटल के रूप में बदल दिया गया है. आज इस होटल का नाम राजस्थान के कई बड़े होटलों में शामिल है.

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ब्रिज भवन का निर्माण सन् 1857 के क़रीब चम्बल नदी के पास हुआ था, उस दौरान देश में क्रांति की लहर दौड़ रही थी, जिसके चलते हिंदू और मुस्लिमों के बीच काफ़ी वाद विवाद हुआ करते थे. हिंदू और मुस्लिम के झगड़े का फ़ायदा अंग्रेज़ उठा रहे थे. इन दोनों में झगड़ा बढ़े इसके लिए अंग्रेज़ हिंदुओं के मंदिर के बाहर गो मांस और मस्जिद के सामने सुअर का मांस डलवा देते थे.

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ऐसा करने की वजह से हिंदू और मुस्लिम के बीच लड़ाई बढ़ती जा रही थी. मगर कुछ दिनों बाद वक़्त का पहिया घूमा और 1857 में ये अफ़वाह उड़ाई गई कि भारतीय सैनिकों की बंदूकों को बनाने में गाय का मांस और सुअर के मीट का इस्तेमाल किया जाता है. बस ये सुनने के बाद सेना के जवान भड़क गए और उन्होंने एक साथ ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया.

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कहा जाता है कि जब भारतीय सैनिकों ने विद्रोह छेड़ा था तब मेजर चार्ल्स बर्टन और उसके दो जुड़वां बच्चे इसी हवेली (कोटा रेज़ीडेंसी) में रहा करते थे. इसके बाद भारतीय सैनिक हवेली को चारों तरफ़ से घेर कर अंदर घुस गए और मेजर चार्ल्स बर्टन और उनके बेटों को चाकू से मार दिया. ऐसा मानना है कि तभी से इन तीनों की आत्मा यहां भटक रही है. 

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कोटा की पूर्व महारानी ने भी इस हवेली से जुड़ी कई अजीबो-ग़रीब घटनाओं के बारे में बताया है, उन्होंने कई बार अपने ड्रॉइंग रूम में मेजर चार्ल्स बर्टन के भूत को देखा था. हालांकि, उसकी आत्मा ने कभी भी कोई नुक़सान नहीं पहुंचाया. इसके अलावा, होटल में आने वाले क्लाइंट का कहना है कि जब वो होटल में रुके थे तो उन्होंने वहां पर कई अजीब-अजीब आवाज़ें सुनी थी.

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आपको बता दें, ब्रिज भवन अब कोटा स्टेट गेस्ट हाउस हो गया है. यहां के स्टाफ़ के अनुसार, होटल की गैलरी में अक़्सर किसी के टहलने की आवाज़ आती है. इसके अलावा जब कोई रात में छत पर टहलने जाता है तो उसे मेजर का भूत ज़ोरदार थप्पड़ मार देता है. हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है.

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