इस फ़ोटोग्राफ़र की इन बेहतरीन तस्वीरों में कैद है, भारतीय सेना की मुश्किल ट्रेनिंग की दास्तां

Maahi

कोई भी देश तभी मज़बूत माना जाता है जब उसकी सीमाएं सुरक्षित हों. भारतीय सेना के जवान कठिन परिस्तिथियों के बावजूद दिन रात एक करके देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, ताकि हम चैन की नींद सो सकें. इन सुपर हीरोज़ के कारण ही हम बेफ़िक्र होकर देर रात तक घूम-फिर पाते हैं. 

देश के इन शूरवीरों को मुश्किल से मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है. ठण्ड हो या गरम, नदी हो पहाड़ या फिर हर वक़्त जान का ख़तरा, भारतीय सेना के जवानों की सुबह और शाम इन्हीं के साथ शुरू और ख़त्म होती है. ये जांबाज़ देश के ख़ातिर ऐसे इलाकों में तैनात होते हैं जहां हम एक घंटे के लिए भी नहीं टिक सकते. 

इन शूरवीरों के इस त्याग और बलिदान के बावजूद हम उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाते. क्या हम कभी किसी जवान को देखकर उसे थैंक्स बोलते हैं? जवाब होगा नहीं, क्योंकि हमें उनकी परवाह है ही नहीं.  

लेकिन ट्रैवल फ़ोटोग्राफ़र अर्जुन मेनन ऐसा नहीं सोचते. वो अपने तरीके से इन सुपर हीरोज़ के जज़्बे को सलाम करते हैं. अर्जुन अपनी फ़ोटोग्राफ़ी के ज़रिये इन देश के सुपर हीरोज़ के त्याग और बलिदान की गाथा को हमारे बीच लेकर आये हैं. 

दरअसल, अर्जुन के पिता भारतीय वायु सेना में पायलट थे. अर्जुन ने 16 साल पहले एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपने पिता को खो दिया था. सैन्य परिवार से होने के कारण भी अर्जुन के अंदर बचपन से ही सेना के लिए बेहद सम्मान था. एक प्रोफ़ेशनल फ़ोटोग्राफ़र होने के कारण अर्जुन कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे कि लोग भारतीय सेना के इन जवानों के त्याग और बलिदान की क़ीमत को समझ सकें. 

बस यहीं से अर्जुन की ‘The Extraordinary’ फ़ोटो सीरीज़ की शुरुआत हुई. उन्होंने इसके लिए जवानों की उस ट्रेनिंग को अपने कैमरे में क़ैद करने का फ़ैसला किया जो हर जवान के लिए बेहद ज़रूरी होती है. जल, थल और हवा में जवान किन मुश्किल हालातों का सामना करते हैं अर्जुन द्वारा खींची ये तस्वीरें वही बयां करती हैं. 

दरअसल, सुरक्षा की दृष्टि से सेना नहीं चाहती थी कोई भी शख़्स इस ट्रेनिंग की फ़ोटोग्राफ़ी करे, इसलिए अर्जुन को दिल्ली में सेना के कई बड़े अधिकारियों से इसके लिए परमिशन लेनी पड़ी. कुछ कागज़ी कार्रवाई के बाद अर्जुन को कुछ सीक्रेट जगहों को छोड़ फ़ोटोग्राफ़ी करने की इज़ाज़त दे दी गई. 

अब अर्जुन अपने कैमरे के साथ सेना की कॉमबैट ऑपरेशन का हिस्सा थे, उन्होंने फ़ैसला कर लिया था कि चाहे परिस्तिथियां कैसी भी क्यों न हों वो हर हाल में सेना के इन वीर जवानों की इस कड़ी मेहनत को लोगों तक ज़रूर पहुंचाएंगे. इस दौरान वो देश के हर हिस्से में सेना के साथ मौजूद रहे. जवानों के साथ कई दिन बिताने के दौरान अर्जुन को एहसास हुआ कि सेना के जवान -18 डिग्री से लेकर 48 डिग्री सेल्सियस में भी दिन रात काम करते हैं.

चाहे परिस्ताथियां कैसी भी क्यों न हो ये सुपरहीरो न कभी झुके थे न ही कभी झुकेंगे. बिना किसी शिकायत के ये अपना कर्तव्य यूं ही निभाते रहेंगे. 

जय हिंद !

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