पिछले 69 सालों से बिना TTE वाली ये ट्रेन, 25 गांव के सैकड़ों लोगों को करा रही है मुफ़्त यात्रा

Maahi

आज हम आपको दुनिया की एक ऐसी ट्रेन से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जो पिछले 69 सालों से लोगों को फ़्री में यात्रा करा रही है.

क्यों है न चौंकाने वाली ख़बर? 

इससे बड़ी चौंकाने वाली ख़बर ये है कि ये ट्रेन कहीं और नहीं, बल्कि अपने ही देश में चलती है.

अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी कौन सी ट्रेन है जो फ़्री में सफ़र कराती है और कहां चलती है?

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तो जानकारी दे दें कि ये ट्रेन पंजाब के नांगल से भाखड़ा डैम तक चलने वाली दुनिया की एकमात्र ऐसी ट्रेन है जो यात्रियों को फ़्री में सफ़र कराती है. इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए यात्रियों को न तो कोई ट्रेन टिकट, न ही प्लेटफ़ॉर्म टिकिट ख़रीदना पड़ता है. करीब 1 घंटे की इस यात्रा के लिए यात्रियों को एक भी रुपया ख़र्च करना नहीं पड़ता. ये ट्रेन 25 गांवों के सैकड़ों लोगों को हर रोज़ उनकी मंज़िल तक पहुंचाती है.

आख़िर ऐसा क्यों है?

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दरअसल, इस ट्रेन का संचालन बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) कर रहा है. देश के पहले और सबसे बड़े डैम भाखड़ा-नांगल के निर्माण के समय से ही ये ट्रेन लोगों को फ़्री में सफ़र करवा रही है. डैम के लिए ज़मीन अधिग्रहण के वक़्त मैनेजमेंट ने यहां के ग्रामीणों से वादा किया था कि उनकी सुविधा के लिए ये ट्रेन हमेशा चलती रहेगी. इस ट्रेन को चलाने के लिए बीबीएमबी हर साल बजट निर्धारित करता है. साल 2017-18 के लिए करीब 57 लाख 50 हज़ार रुपए का बजट रखा गया था.

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फ़्री ट्रेन चलाने का मक़सद क्या है?

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इस ट्रेन को फ़्री में चलाने का असल मकसद युवा पीढ़ी को ये बताना है कि आज़ादी के कुछ साल बाद ही इस डैम के निर्माण में कैसी चुनौतियां आई होंगी. इस कार्य में इंजीनियर्स ने बड़े-बड़े पहाड़ों को काटकर कैसे समतल ट्रैक बनाया होगा? क्योंकि ‘भाखड़ा-नांगल डैम’ को न सिर्फ़, पंजाब बल्कि हिन्दुस्तान की शान भी माना जाता है. भाखड़ा डैम के निर्माण कार्य में अहम योगदान देने वाली इस ट्रेन में शुरुआती दौर में 10 बोगियां होती थीं. उस वक़्त इसी ट्रेन द्वारा नांगल से सीमेंट, औज़ार व मज़दूर डैम साइट तक पहुंचते थे.

क्यों ख़ास है ये ट्रेन

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साल 1949 में शुरू हुई इस ट्रेन की सबसे ख़ास बात ये है कि इसमें न तो कोई टीटीई हाेता है और न ही कोई हॉकर. इस ट्रेन के कोच पूरी तरह से लकड़ी के बने हुए हैं. इस इलाके के स्टूडेंट्स के लिए ये ट्रेन किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि स्टूडेंट्स को उच्च शिक्षा के लिए नांगल के पास भटोली जाना पड़ता है. इन 25 गावों को यहां के सबसे बड़े बाज़ार नांगल से जोड़ने का कोई दूसरा साधन भी नहीं है.

कब-कब चलती है ये ट्रेन?

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ये ट्रेन दिन में दो बार अप-डाउन करती है. ट्रेन नांगल से सुबह 7:05 बजे व दोपहर 3:05 बजे भाखड़ा के लिए चलती है. जबकि भाखड़ा से वापसी सुबह 8:20 व शाम 4:20 की होती है. 

Source: bhaskar

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