इस दुर्लभ कछुए से बने ‘चिप्स’ की कई देशों में है भारी डिमांड, बिकते हैं 2 लाख रुपये Kg

Abhay Sinha

आपने बहुत से अजीबो-ग़रीबी खान-पान के बारे में सुना होगा. जैसे चींटे की चटनी, मकड़ियों को तलकर बने स्नैक वगैरह-वगैरह. मगर कभी आपने कछुओं से बनने वाले चिप्स (Turtle Chips) के बारे में सुना है? आपने शायद न सुना हो, मगर इसकी काफ़ी डिमांड रहती है. साथ ही, इसकी क़ीमत भी कोई 10-20 रुपये पैकेट नहीं, बल्क़ि लाखों में है.

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दरअसल, दुलर्भ प्रजाति के सिंदूरी कछुओं से बने चिप्स की दुनिया में खूब मांग है. भारत में ये दुर्लभ कछुआ चंबल नदी में पाया जाता है और सालों से तस्करी के लिए कुख़्यात है. आप भी पढ़ते ही होंगे कि फलानी जगह पर बड़ी तादद में कछुए पकड़े गए. ज़्यादातर मामले इसी से जुड़े होते हैं.

Turtle Chips : सेक्स पावर बढ़ाने के लिए करते हैं सेवन

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इस दुर्लभ कछुए से सिर्फ़ चिप्स ही नहीं बनता, बल्क़ि सूप भी तैयार होता है. इसके ज़रिए लोग अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं. इन लोगों का मानना है कि इससे सेक्स पावर (Sex Power) भी बढ़ती है. साथ ही, इसके मांस के शौक़ीन भी कम नही हैं.

बता दें, कछुए के चिप्स थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में 1 लाख से 2 लाख रुपए में बिकता है.

कैसे तैयार होता है कछुए से चिप्स

भारत में सिन्दूरी कछुओं की दुर्भल प्रजाति चंबल नदी में मिलती है. साथ ही, निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका भी दो अन्य प्रजातियां हैं, जिनसे चिप्स तैयार होते हैं.

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चिप्स तैयार करने के लिए कछुए के पेट की स्किन का इस्तेमाल होता है. इसे प्लैसट्रान कहते हैं. इसे बनाने के लिए कछुए से प्लैसट्रान को काटकर अलग कर लिया जाता है. फिर इसे उबालकर सुखाया जाता है. इसके बाद बंगाल के रास्ते इसे विदेशों में भेज दिया जाता है.

बताया जाता है कि गर्मी में तो तस्कर ख़ुद ही चिप्स बनाकर विदेशों में सप्लाई कर देते हैं, जबकि सर्दियों में ज़िंदा कछुओं की तस्करी की जाती है. अगर कछुए का वज़न 1 किलो है तो उससे क़रीब 250 ग्राम चिप्स (Turtle Chips) बन जाते हैं. इसके अलावा लोग सूप पीना और मांस खाना भी पसंद करते हैं.

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बता दें, सरकार ने 1979 में कछुओं सहित दूसरे जलचरों को को बचाने के लिए चम्बल से लगे 425 किमी में फैले तटीय क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी घोषित कर दिया था. वहीं, कछुओं की तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर 3 से 7 साल की सज़ा हो सकती है. बावजूद इसके 1980 से अब तक एक लाख के आसपास कछुए बरामद किए जा चुके हैं. इस दौरान सैकड़ों तस्कर गिरफ़्तार भी हुए हैं, फिर भी ये अवैध धंधा ज़ोरों पर चल रहा है.

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