बाज़ों के लिए बना दिया टॉप क्लास अस्पताल. वाकई अरब के लोग बड़े करामाती होते हैं

Vishu

सउदी अरब के लोग कितने करामाती होते हैं, ये बात किसी से छिपी नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस देश में बाज़ों को भी बेहद गंभीरता से लिया जाता है?.

अरब में बाजों की पालने की प्रथा 3500 BC में शुरु हुई थी. इसकी सबसे पहली शुरुआत इराक में हुई थी. माना जाता था कि एक स्थानीय राजा इन पक्षियों के साथ ही ट्रेनिंग और शिकार करता था.

अबु धाबी में एक अस्पताल है जो किसी भी सामान्य अस्पताल की तरह ही दिखाई देता है. लेकिन खास बात ये है कि इस अस्पताल में इंसानों का नहीं बल्कि बाज़ों का इलाज होता है. 

 जैसे ही यहां कोई बीमार बाज़ पहुंचता है तो उसे फ़ौरन एक अलग Sorting कमरे में भेज दिया जाता है. इस कमरे में मेडिकल टीम इन बाज़ों का वज़न नापती हैं और फ़िर इनका इलाज किया जाता है. ये अस्पताल 1999 में बन कर तैयार हुआ था और अब तक इस अस्पताल में 12000 से ज़्यादा बाजों का इलाज हो चुका है.

अगर किसी बाज़ को मामूली परेशानी है तो उसे दूसरे बाज़ों की तरह ही अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है लेकिन नाज़ुक दौर से गुज़र रहे बाज़ों को फ़ौरन ऑपरेटिंग रुम में भेजा जाता है जहां डॉक्टरों की एक अनुभवी टीम इनके इलाज़ के लिए तैयार रहती है. 

इस टीम को खासतौर पर जटिल और लंबे ऑपरेशंस के लिए तैयार किया जाता है. उपचार के बाद इन बाज़ों को एयर कंडीशड अस्पताल के कमरों में रिकवरी के लिए भेज दिया जाता है.

इस इंस्टीट्यूट को पिछले 15 सालों से चलाने वाले जर्मन शख़्स का कहना था कि ये अस्पताल बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे कोई सामान्य मरीज़ों का अस्पताल. 

बाज़ों को स्क्रीनिंग रुम में ले जाया जाता है जहां ये फ़ैसला किया जाता है कि इन बाज़ों को अतिरिक्त टेस्ट की ज़रुरत तो नहीं है. इसी रुम से भी निर्धारित होता है कि बाज़ों को ऑपरेटिंग रुम में ले जाने की ज़रुरत है या नहीं.

यूएई के कई घरों के गेस्ट रुम में बाज़ का घोंसला होता है. कई घरों में तो ये बाज़ अपने मालिक के साथ ही बेडरुम में सोते हुए मिलते हैं. इन पक्षियों का अपना खुद का पासपोर्ट होता है. कई अमीर बाज़ पालक तो इन बाज़ों को बिज़नेस क्लास में सफ़र कराते हैं.

यूएई में बा़ज़ पालन करने वाले लोग इन बाज़ों की अपने बच्चों की तरह ही देखभाल करते हैं.

आमतौर पर बच्चों के लिए जो उपचार और रोकथाम की जाती है, लगभग वही प्रक्रिया बाज़ों के लिए भी अपनाई जाती है. यहां जिस स्तर पर बाज़ों के उपचार की सुविधा प्रदान की जाती है, किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए काफी ज्यादा हो सकता है लेकिन यूएई के लोगों के लिए ये पक्षी नेशनल प्राइड और परंपरा का प्रतीक है, ऐसे में इनकी देखभाल हमारे लिए आश्चर्यजनक नहीं बल्कि गौरव की बात है.

अमेरिका और यूरोप में बाज़ पालन एक खेल है. लेकिन संयुक्त अरब अमीरात के कुछ हिस्सों में इसे मीट के प्रॉडक्शन के तौर पर भी देखा जाता है. दरअसल रेगिस्तान में ज़िंदगी बेहद मुश्किल है, जाहिर है यहां के बाज़, Bedouin परिवारों की ज़िंदगी के लिए बेहद ज़रुरी है. शायद यही कारण है कि अबु धाबी प्रशासन, बाज़ों के इस अस्पताल को लेकर इतना गंभीर है.

ये बिल्डिंग पहले एक धूल धुसरित बिल्डिंग थी जिसे अब एक विश्व स्तरीय अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है. इस बिल्डिंग में आज 107 लोग काम करते हैं.

यहां देश भर से बाज़ों का तांता लगा रहता है. सऊदी अरब, कतर, कुवैत और बहरीन के कई बाज़ों को यहां इलाज के लिए लाया जाता है. इसी वजह से कई बार ये जगह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

हालांकि पर्यटकों के लिए इस अस्पताल का समय केवल दो बार आ सकते हैं. इस अस्पताल की अनोखी शैली को देखने के लिए अकसर इस जगह का दौरा करते हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
एम एस धोनी के सिग्नेचर के साथ मैन ऑफ़ प्लैटिनम ने लॉन्च किया ये यूनिक सिग्नेचर एडिशन ज्वेलरी कलेक्शन
लॉन्च हो गया है दुनिया का सबसे महंगा ‘लिफ़ाफ़ा’, क़ीमत जानकर ‘मिडिल क्लास’ लोग पकड़ लेंगे माथा
बिरयानी, रसगुल्ला या डोसा नहीं, इस साल लोगों ने Swiggy से सबसे ज़्यादा ऑर्डर की ये डिश
Old Monk: जानिए इस ‘देसी रम’ की बोतल पर किसकी तस्वीर छपी होती है, दिलचस्प है कहानी
ये है दुनिया की सबसे महंगी धूल, करोड़ों रुपये है क़ीमत, सिर्फ़ तीन देशों के पास है इसका स्टॉक
Magic Moments: यूपी में बनी इस देसी वोदका की आज दुनिया है दीवानी, बन चुकी है वर्ल्ड की बेस्ट वोदका