आख़िर बंदूक़ की गोली में ऐसा क्या होता है कि जिस्म में घुसते ही इंसान की मौत हो जाती है?

Abhay Sinha

एक छोटी सी गोली जिस्म में घुसती है और ज़िंदगी को शरीर से बाहर फेंक देती है. ठंडी लाश और गर्म ख़ून दोनों ज़मीन पर एक-दूसरे से अलग होते नज़र आते हैं. फ़िल्म हो या हक़ीक़त, अमूमन ऐसा ही होता है. मगर कभी आपने सोचा है कि आख़िर एक गोली में ऐसा क्या होता है कि उसके लगते ही इंसान की मौत हो जाती है?

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एक गोली काम कैसे करती है?

पहले ये समझना ज़रूरी है कि एक गोली काम कैसे करती है. दरअसल, बंदूक का ट्रिगर दबने पर जो कार्टिज निकलती है, उसके तीन हिस्से होते हैं. प्राइमर, खोखा या केस और बुलेट. कार्टिज का सबसे पिछला हिस्सा प्राइमर होता है. ये ही फ़ायरिंग के वक्त बारूद में विस्फोट करता है. बीच में खोखा होता है, इसी में गन पाउडर भरा होता है. गोली चलते ही ये खोखा बंदूक से निकलकर गिर जाता है. 

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अब आता है वो हिस्सा जो किसी इंसान के शरीर को चीरता अंदर घुस जाता है. कार्ट्रिज के सबसे आगे वाले हिस्से को बुलेट कहते हैं. ये लेड या सीसे की बनी होती है. जब बंदूक का ट्रिगर दबाया जाता है ,तो प्राइमर पर तेज़ से चोट लगती है. इस टक्कर से बुलेट केस में चिंगारी उत्पन होती है और खोखे के बारूद में विस्फ़ोट हो जाता है. इस वजह से खोखा बुलेट से अलग होकर ज़मीन पर गिर जाता है और तेज़ बल के कारण बुलेट रफ़्तार से आगे निकल जाती है. 

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गोली लगने से मौत कैसे होती है?

सीसा एक ज़हरीला पदार्थ होता है. हालांकि, इससे मौत होने की संभावना कम होती है. वैसे भी गोली से मौत होने के कई कारण होते हैं. एक बुलेट तेज़ रफ़्तार के साथ एकदम सीधी शरीर के अंदर घुसती है. अपने रास्ते में आने वाली जिस्म की खाल और शरीर के अंदर के अंगों को चीरती हुई बाहर निकल जाती है. कई बार हड्डी से टकराकर शरीर में भी धंसी रह जाती है. 

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ऐसे में गोली लगने पर शरीर से ख़ून निकलना शुरू हो जाता है. ज़्यादा ख़ून बह जाने पर इंसान की मौत हो जाती है. कई बार ऐसे पार्ट पर गोली लग जाती है, जिससे तुरंत ही शरीर निष्क्रिय पड़ने लगता है, जैसे- दिल या दिमाग़ पर. कई बार अधचले बारूद के कारण मौत होती है. बुलेट शरीर में जब घुसती है तो काफ़ी गर्म होती है. ऐसे में अंग डैमेज भी हो सकते हैं, जो बाद में मौत का कारण बनते हैं. वैसे ज़्यादातर मामलों में ख़ून का अधिक रिसाव और इंफ़ेक्शन ही मौत का कारण बनते हैं. 

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