जानिये भारतीय नोट पर तिरछी लाइंस क्यों और किसके लिए छापी जाती है और क्या होता है इसका मतलब

Kratika Nigam

भारतीय करेंसी में कई ऐसी चीज़ें होती हैं, जो अपनी ओर आपका ध्यान ज़रूर खींचती होंगी, जैसे अशोक स्तम्भ, महात्मा गांधी की फ़ोटो और कई तरह के सीरियल नम्बर्स. इसके अलावा क्या कभी आपने 100, 200, 500 और 2000 के नोटों पर अंकित तिरछी लाइन पर ध्यान दिया है. ये लाइन नोट की क़ीमत के आधार पर घटती-बढ़ती हैं. इन लाइंस का बहुत महत्व होता है क्योंकि ये लाइंस नोट के बारे में काफ़ी अहम जानकारी बताती हैं.


इसलिए जानना ज़रूरी है कि आख़िर इन तिरछी लकीरों का मतलब क्या होता है और ये कैसे नोट से जुड़ी जानकारी देती हैं?

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तिरछी लाइंस को क्या कहते हैं और किसके लिए बनाई जाती हैं?

नोट पर बनी इन तिरछी लकीरों को ब्‍लीड मार्क्‍स (Bleed Marks) कहते हैं और इन्हें ख़ासतौर पर नेत्रहीनों के लिए बनाया गया है. ताकि नेत्रहीन लोग छूकर पता लगा सकें कि नोट कितने का है. ये लकीरें 100, 200, 500 और 2000 के नोटों पर बनाई जाती हैं, हर नोट पर लकीरों की संख्या अलग होती है, जो इसकी क़ीमत बताती है.

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किस नोट पर कितनी लाइंस खींची होती हैं?

हर नोट पर अलग-अलग तिरछी लाइंस होती हैं. इस आधार पर 100 और 200 रुपये के नोट में दोनों तरफ़ चार-चार लकीरें और दो-दो ज़ीरो होते हैं. तो वहीं, 500 के नोट में 5 और 2000 के नोट में दोनों तरफ़ 7-7 लकीरें बनी होती हैं. इन्हीं लकीरों को छूकर नेत्रहीन नोट की क़ीमत को पहचानते हैं. 

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इन नोटों में बनी तस्‍वीरों का क्‍या मतलब होता है? 

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इन सभी नोटों पर पीछे की तरफ़ तस्वीरें छपी होती है, जिनमें 200 रुपये के नोट के पीछे सांची स्तूप छपा होता है, जो मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले में स्थित है, जो भारत की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है. इसका निर्माण महान सम्राट अशोक ने कराया था. वहीं, 500 रुपये के नोट में लाल क़िले की तस्वीर और 2000 रुपये के नोट में मंगलयान की फ़ोटो छपी हुई है, जो भारत के मंगल मिशन का हिस्‍सा है.

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आख़िरी में आपको बता दें, 100 रुपये के नोट में गुजरात के पाटन ज़िले में स्थित बावड़ी ‘रानी की वाव’ की तस्‍वीर छपी हुई है, जिसे सोलंकी वंश की रानी उदयमति ने अपने पति भीमदेव प्रथम की याद में बनवाया था. इसे यूनेस्को ने साल 2014 में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया है.

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