किसी बीमारी या चोट के चलते हम जब डॉक्टर के पास जाते हैं, तो कई बार वो हमें बस दवा देकर चलता कर देते हैं. मगर कभी ऐसा भी होता है कि वो आपको इंजेक्शन लगवाने को बोलते हैं. एकदम मुंह सिकोड़ कर आप अपना हाथ डॉक्टर के आगे करते हैं, तो वो इंजेक्शन लगाने के बजाय आपको औंधे मुंह लेट जाने को बोलता है. क्योंकि वो इंजेक्शन हाथ के बजाय कमर में खोंसने वाला होता है.
आपके साथ भी हुआ है न ऐसा? हुआ ही होगा. मगर कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है कि कभी डॉक्टर हाथ तो कभी कमर में इंजेक्शन लगाते हैं? कहीं वो अपने मन से तो नहीं तय करते कि आज यहां तो कल वहां इंजेक्शन लगा दो? बता दें, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. डॉक्टर्स तफ़री में हमें इधर-उधर इंजेक्शन नहीं लगाते, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है.
दरअसल, इंजेक्शन कई तरह के होते हैं. मसलन, इंट्रावेनस, इंट्रामस्क्युलर, सबक्यूटेनियस और इंट्राडर्मल. इन सभी इंजेक्शन को शरीर के किस हिस्से पर लगाना है, ये तय होता है इनमें भरी दवाओं से और मरीज़ किस तरह की बीमारी से जूझ रहा है. तो आइए जानते हैं फिर कौन-सा इंजेक्शन शरीर के किस हिस्से पर लगेगा.
इंट्रावेनस इंजेक्शन (Intravenous injections)
इंट्रावेनस इंजेक्शन हाथ में लगाया जाता है. इसका इस्तेमाल नसों में सीधे दवा पहुंचाने के लिए किया जाता है. इससे दवा सीधे ब्लड में मिल जाती है और शरीर तेज़ी से से दवा को अवशोषित करता है. टिटनेस हो या फिर आजकल कोविड वैक्सीन के इंजेक्शन हाथ में ही लगते हैं.
डॉक्टर्स इस इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन को मांसपेशियों में लगाते हैं. मांसपेशियों में भरपूर रक्त की आपूर्ति होती है, जो शरीर को दवा को जल्दी से अवशोषित करने में मदद करती है. आमतौर पर इन्हें कूल्हे या फिर जांघ वाले हिस्से में लगाया जाता है. ऐसे इंजेक्शनों में एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड के इंजेक्शन शामिल होते हैं.
सबक्यूटेनियस इंजेक्शन (Subcutaneous injections)
हेल्थकेयर पेशेवर ये इंजेक्शन त्वचा के ठीक नीचे और मसल टिश्यूज़ के ऊपर फ़ैटी टिश्यूज़ में लगाते हैं. ऐसे में हाथ या जांघ के ऊपरी हिस्से या फिर पेट में ये इंजेक्शन लगता है. त्वचा के नीचे इंजेक्शन देने के लिए एक छोटी सुई का उपयोग करते हैं, ताकि दवा फ़ैटी टिश्यूज़ में जाए न कि मांसपेशियों में. इस तरह के इंजेक्शन के ज़रिए इंसुलिन और गाढ़े खून को पतला करने वाली दवाएं दी जाती हैं.
इंटरडर्मल इंजेक्शन (Intradermal injections)
डॉक्टर्स त्वचा की सतह के ठीक नीचे इंट्राडर्मल इंजेक्शन देते हैं, जिससे एक छोटी सी गांठ बन जाती है, जिसे ब्लब या वील कहा जाता है. इस इंजेक्शन का इस्तेमाल टीबी और एलर्जी की जांच करने में किया जाता है. इस इंंजेक्शन को हमेशा कम बालों वाले एरिया में ही दिया जाता है. साथ ही, उस जगह पर कोई भी घाव, मसा वगैहर नहीं होना चाहिए. ऐसे में इसे कलाई के पास वाले हिस्से में लगाया जाता है.