मम्मी, पापा, फूफा आस-पास के लोग सब कह-कह कर थक गए हैं लेकिन हमें उंगलियां चटकानी है तो है. किसी को चटकाते देख ली तो करना है, आवाज़ सुन ली तो करना है. एक लत जैसी बन जाती है और चटकाने के बाद हल्का सा बहुत हल्का सा सुकून सा भी मिलता है. (मुझे तो मिलता है !)
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पर क्या आपने सोचा है कि उंगली चटकाने पर आवाज़ क्यों आती है?
हमारी उंगलियों के बीच में तरल पदार्थ भरे कुछ कैप्सूल हैं. जो कि हमारी उंगलियों को घूमने- फिरने में मदद करते हैं. यानी आप इसे चिकनाहट समझ लीजिए जो आप साइकिल जैसे उपकरणों में लगते हैं ताकि वो घूमते रहें. अब ये तरल पदार्थ वास्तव में गैस के होते हैं. अब जब हम अपनी उंगलियां खींचते हैं तो इन कैप्सूल में भी दबाव पड़ता है. जिसकी वजह से उस के अंदर एक गैस-रुपी बुलबुला बन जाता है और वो फूट जाता है. बस इसके फूटने की ही वो आवाज़ है जो हम सुनते हैं.
हालांकि, वैज्ञानिक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि काई बार ये आवाज़ इतनी तेज़ क्यों होती है.
अब आप एक बार उंगली अच्छे से चटका लेते हैं तो तुरंत उसे दोबारा इसलिए नहीं चटका सकते हैं कि जो गैस रूपी बुलबुला फूटा था उसे पूरी तरह से कैप्सूल में मिलने के लिए 20 मिनट लगते हैं. यानी 20 मिनट बाद फिर लग जाइए !
लेकिन लोग उंगली चटकाते क्यों हैं और इसका इतना नशा क्यों हो जाता है ?
अब एक बात तो ये है कि उंगली चटकाने से बेशक़ जोड़ों की कुछ टेंशन तो रिलीज़ होती ही है. इसलिए लोग इसे चटकाते हैं और वो चंद सेकंड की राहत लेते हैं.
अब भाई जीवन में कम स्ट्रेस किसे नहीं भाता है? तो बस कुछ लोग इसी के नशे कर लेते हैं. ख़ासकर वो लोग जिनका उंगलियों से बहुत काम होता है. जैसे: लेखक, कोडर, सर्जन, पेंटर्स. इसके अलावा कुछ लोगों को इस आवाज़ से भी सुकून मिलता है. लोग धीरे-धीरे उंगली चटकाने के नशे करने लगते हैं फिर चाहें मम्मी कितनी भी आंख दिखाएं और बोले कि मत किया कर वरना गठिया हो जाएगी !!
क्या सच में इससे गठिया या Arthritis होने का डर रहता है क्या?
इस सवाल के उत्तर को आपन अपनी मम्मी, पापा और उन सब के साथ पढ़े जो आपकी इस हरक़त से परेशान हो चुके हैं. क्योंकि इसका जवाब ‘न’ है. इस रिपोर्ट की मानें तो अभी तक कोई ऐसा प्रूफ़ नहीं है कि उंगलियां चटकाने से आपको गठिया या Arthritis हो सकता है.
बाप रे, इस आर्टिकल को लिखते-लिखते 10 बार तो मैंने ही उंगलियां चटका ली. (ओ, पता नहीं जी कौन सा नशा करता है !!)