रास्ते पर जाते समय सड़क किनारे पेड़ लगे तो देखे होंगे, उन पेड़ों के तने को यानि नीचे साइड पर सफ़ेद रंग से रंगा भी देखा होगा. इसे देखने के बाद कभी सोचा है कि पेड़ों को सफ़ेद रंग से क्यों रंगा जाता है? क्यों इसे लाल, पीले, हरे या किसी और रंग से नहीं रंगा जाता है? क्योंकि ये रंग भी तो रंग हैं और रंगना ही है तो इनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है. तो इसके पीछे की वजह बहुत ही बड़ी और ख़ास है, जो पेड़ों की ग्रोथ के लिए उपयोगी भी. आपके इन सब सवालों का जवाब आपको देंगे और बताएंगे कि ऐसा आख़िर क्यों किया जाता है?
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दरअसल, पेड़ों को जिस सफ़ेद चीज़ से रंगा जाता है, वो चूना है, जिससे पेड़ सुरक्षित रहते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो, चूना पेड़ के लिए बहुत उपयोगी है. जब पेड़ों के निचले हिस्से को चूने से रंगा जाता है, तो चूना अच्छी तरह से निचले हिस्से में पहुंच जाता है, जिससे पेड़ों में कीड़े या दीमक नहीं लगती है और पेड़ की उम्र बढ़ती है. इतना ही नहीं, चूना ऊपरी परत की भी छाल की सुरक्षा करता है और उसे फटने या टूटने से बचाता है.
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इसके अलावा, जिन पेड़ों को ऊपर से काट दिया जाता है उन्हें भी पूरा चूने से रंग दिया जाता है, ताकि उस पेड़ में आने वाली कोपलें ख़राब न हो. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, चूना पेड़ में आने वाली नई कोपलों और पत्तियों को सूरज की किरणों के बुरे प्रभाव से बचाकर उन्हें नष्ट नहीं होने देता है. बस ध्यान रहे कि, पेड़ों को रंगते समय चूने की मात्रा कम और पानी की मात्रा ज़्यादा होनी चाहिए, इससे पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होगा. कई बार आपने देखा होगा कि सहजन (Drumstick Tree) का सीज़न जाने के बाद उसे पूरा चूने से रंग दिया जाता है या फिर उस पर कपड़ा बांध दिया जाता है.
वैज्ञानिक कारणों के अलावा पेड़ों का सफ़ेद रंग से रंगा होना रास्ता भी बताने का काम करता है, जिससे रात में ट्रैवल करना आसान हो जाता है. सफ़ेद रंग अंधेरे रास्तों पर गाड़ी की लाइट पड़ते ही दिख जाता है, जिससे ये पता चल जाता है कि रास्ता कितना लंबा और सड़क कितना चौड़ी है. ख़ासकर घने पेड़ों वाले और पहाड़ी इलाकों वाले रास्ते पर इनसे ख़ूब मदद मिलती है.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, ऑयल पेंट पेड़ों के लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए ऑयल पेंटसे पेड़ कभी भी न रंगे, क्योंकि इससे पेड़ की ग्रोथ रुक जाती है.