दूल्हों को घोड़ी चढ़ते देखा-सुना तो होगा, आज जानिये इसके पीछे की वजह

Sanchita Pathak

कुछ तस्वीरें- 

Maharani Weddings
My Wedding Entrance
Jeanne Marie Photo
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भारत, ख़ासकर उत्तर भारत की शादियों में दूल्हे आगे घोड़ी पर चलते हैं और पीछे बाराती.


क्या कभी सोचा है कि दूल्हा ‘घोड़ी’ पर ही क्यों आता है?  

Quora के मुताबिक़, घोड़ों का हिन्दू संस्कृति में बहुत महत्त्व रहा है. चाहे वो अश्वमेध यज्ञ हो या कृष्ण द्वारा अर्जुन का रथ चलाया जाना हो. घोड़ा चलाने का सीधा तात्पर्य है कि व्यक्ति ने बचपना त्याग दिया है और ज़िम्मेदारियों से भरे अब जीवन का एक नया अध्याय शुरू करने वाला है. 

एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़, दूल्हा घोड़े के बजाए घोड़ी इसलिये चढ़ते हैं क्योंकि घोड़ियां ज़्यादा चंचल होती हैं और उन्हें वश में करना मुश्किल होता है. 

Yahoo की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़्यादातर पंजाबी शादियों में घोड़ी को ख़ासतौर पर सजाया जाता है और उसकी पूंछ में ‘मौली’ बांधी जाती है. दूल्हे की बहन घोड़ी को चने खिलाती है. 

एक और बात, ये सच है कि राजा-महाराजा के ज़माने में घोड़े शौर्य का और घुड़सवारी वीरता का प्रतीक थे. अब दौर बदल चुका है. किसी जानवर पर बैठकर अपनी बारात में जाने से बेहतर है, पैदल चले जाओ. कुछ रीतियां हैं जो बदल जायें तो सबके लिए अच्छा है. अगर इंटरनेट खंगाला जाये तो घोड़ों के साथ होने वाली ज़्यादतियों की लंबी लिस्ट मिल जाएगी.  

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