जानिए सैकड़ों टन भारी ‘पानी का जहाज़’ समंदर में क्यों नहीं डूबता, आख़िर क्या कारण है

Maahi

Why Ship Did Not Sink: दुनिया के किसी भी देश की यात्रा करना आज इंसान के लिए बेहद आसान हो चुकी है. आज हम दुनिया के किसी भी कोने में दो से तीन दिन में हवाई जहाज़ से आसानी से पहुंच सकते हैं. लेकिन आज से 100 साल पहले ऐसा नहीं था. उस दौर में दुनिया के एक देश से दूसरे देश की यात्रा करने में 6 महीने या उससे अधिक का समय लग जाता था. दरअसल, उस दौर में यातायात का एकमात्र साधन पानी का जहाज़ हुआ करता था. आज एक देश से दूसरे देश आयात और निर्यात के लिए हवा, धरती और समुद्र के रास्ते का सहारा लिया जाता है.

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आंकड़ों के मुताबिक़, आज भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार का क़रीब 70 फ़ीसदी आयात और निर्यात समुद्र के रास्ते किया जाता है. बड़े बड़े समुद्री जहाज़ों के ज़रिए से इस काम को अंजाम दिया जाता है. करोड़ों रुपये की लागत में बने पानी के जहाज़ों का वजन कई हज़ार टन होता है. कई जहाज़ तो इतने बड़े होते हैं कि उसमें एक छोटा शहर समा जाये.

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समुद्री जहाज़ (Ship) में न तो पहिए (Wheels) होते हैं न ही हेलीकॉप्टर की तरह पंख (Rotor Blades) होते हैं. बावजूद इसके पानी का जहाज़ समंदर में आसानी से कैसे तैर लेते हैं, वो नहीं क्यों डूबते हैं?

इस वजह से नहीं डूबते समुद्री जहाज़

दरअसल, समुद्री जहाज़ में पहिए नहीं, बल्कि प्रोपेलर (Propeller on Ship) लगे होते हैं. ये पंखे नुमा प्रोपेलर शिप के नीचे लगे होते हैं. पानी के अंदर घूमने वाले ये प्रोपेलर काफ़ी विशाल होते हैं. इनका काम शिप को गति देना होता है. ये तेज़ी से घूमकर आगे की हवा या पानी को पीछे की ओर धकेलते हैं. इसी वजह से समुद्री जहाज़ पानी में डूबने के बजाय तेज़ गति से आगे बढ़ने लगता है.

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किसी भी समुद्री जहाज़ (Ship) में प्रोपेलरों (Propeller) की संख्या उसके आकार पर निर्भर करता है. विशाल समुद्री जहाज़ में 2 से लेकर 8 प्रोपेलर तक लगे होते हैं. जबकि छोटे जहाज़ों में केवल 2 प्रोपेलर ही लगे होते हैं.

Onesteppower

समुद्री जहाज़ (Ship) लोहे और स्टील से बनी एक खोखली वस्तु होती है जिसमें बहुत अधिक हवा होती है. इस दौरान उसमें वायु का घनत्व बेहद कम होता है. इसमें बहुत अधिक हवा होने के कारण जहाज़ का औसत घनत्व पानी के घनत्व से कम हो जाता है, इसलिए जहाज़ पानी में तैरता है.

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समुद्री जहाज़ (Ship) के न डूबने के पीछे ‘आर्कमिडीज़ का सिद्धांत’ काम करता है. आसान शब्दों में कहें तो ‘पानी का जहाज़’ या ‘मोटर बोट’ का इंजन बंद होने के बाद भी वो पानी के अंदर नहीं डूबते, क्योंकि उनकी बनावट विशेष प्रकार से की जाती है. अगर पानी की सतह पर खड़े जहाज़ के बीच में से दो टुकड़े कर दिए जाएं तो दोनों टुकड़े पानी में तुरंत डूब जाएंगे.

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