आख़िर क्यों ‘टायर’ का रंग हमेशा काला ही होता है, क्या है इसके पीछे की कहानी?

Abhay Sinha

Why Tyres Are Always Black In Colour: हम डेली लाइफ़ में जिन चीज़ों को इस्तेमाल करते हैं, उनकी ख़ासियत पर शायद ही कभी ध्यान देते हों. मसलन, हम सभी गाड़ियों का इस्तेमाल करते ही हैं. अब वो चाहें साइकिल हो या फिर बाइक-कार या फिर हवाईजहाज. आपने कभी गौर किया है कि वाहन कोई भी हो, मगर उसके टायर का रंग हमेशा काला ही होता है. लेकिन शायद ही इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की हो!

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कोई नहीं, आज हम आपको इसके पीछे की वजह भी बताएंगे और टायर का इतिहास भी. तो चलिए जानते हैं.

Why Tyres Are Always Black In Colour:

किसने बनाया था पहला टायर?

टायर शब्द फ्रेंच शब्द ‘Tirer’ से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘खींचने वाला’. इसकी शुरुआत होती है साल 1800 से. इसके पहले पहियों को टूटने से सुरक्षित रखने के लिए लोहे, लकड़ी और चमड़े का इस्तेमाल होता था.

व्हीलराइट नाम के एक कारीगर ने सबसे पहले रबर के टायरों का आविष्कार किया. मगर 1800 में चार्ल्स मैकेंतोष ने अमेजन और दूसरे स्थानों के वृक्षों से निकलने वाले द्रव से रबर बनाया. हालांकि, दोनों ही संतोषजनक साबित नहीं हुए. क्योंकि, मौसम के साथ ये तालमेल नहीं बिठा पाया.

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फिर चार्ल्स गुडईयर ने वूलकैनाइज्ड रबर का 1839 में आविष्कार किया, जो मज़बूत और खींचा जा सकने वाला था. इसका इस्तेमाल साइकल में हुआ.

मगर अभी भी टायरों में हवा नहीं भरी जाती थी. उसका आविष्कार 1845 में राबर्ट विलियम थामसन ने किया. उन्होंने न्यूमेटिक या हवा भरे टायर बनाए और उसका पेटेंट कराया. हवा भरने से टायर झटका सहन करने में कुछ हद तक सक्षम हुए. मगर कुछ दिक्कतों के चलते इसका प्रोडक्शन नहीं हुआ.

पहले नहीं था टायरों का रंग काला

ये बात शायद ही लोग जानते हों कि पहले टायरों का रंग काला नहीं था. जी हां, 125 साल पहले जब पहले रबर टायर का प्रोडक्शन किया गया तो ये सफेद रंग का था. दरअसल, ऐसा रबर की वजह से था. क्योंकि, इसे बनाने में दूधिया रंग के रबर का इस्तेमाल हुआ था. मगर ये टायर इतने मज़बूत नहीं थे कि गाड़ी के भार और झटकों को सहन कर सकें.  

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कैसे और क्यों सफ़ेद टायर बन गया काला? Why Tyres Are Always Black In Colour

अब सवाल ये है कि टायरों का रंग काला क्यों हुआ. दरअसल, इसके पीछे वजह टायरों का मज़बूत बनाना था. ऐसा महसूस किया गया कि अगर टायरों का अधिक मज़बूत बनाना है तो उसके मटीरियल में कुछ न कुछ मिलाना पड़ेगा. ऐसे में कॉर्बन ब्लैक जैसा मटीरियल बढ़िया ऑप्शन मालूम पड़ा. हालांकि, इसे मिलाने से टायर की क्षमता और उम्र तो बढ़ी, मगर टायर का रंग पूरा काला पड़ गया.

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कॉर्बन ब्लैक टायर और सड़क की सतह के बीच होने वाले जबरदस्त घर्षण से टायर को गर्म होकर पिघलने नहीं देता है और गर्म सड़को पर भी चलाने का इनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. इसके अलावा, कॉर्बन ब्लैक टायर की रक्षा और ओज़ोन के हानिकारक असर से लेकर यूवी रेडिएशन तक से बचाने में मददगार होता है. यही वजह है कि हर तरह के वाहनों में काले रंग के टायरों का इस्तेमाल होने लगा.

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