100 साल पहले ब्रिटिश काल में चलन में आये दो रुपये आठ आने के नोट की हुई नीलामी, बिका 3 लाख में

Rashi Sharma

आज हम लोग 500 और 2000 के नोट देख रहे हैं, लेकिन इसी रविवार को दो रुपये और आठ आना या ढाई रुपये के नोट की हुई है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये नोट पहली बार 1918 में प्रचलन में आया था. बाज़ार में गिरावट आने के बावजूद इस पुराने नोट की नीलामी 2.95 रुपये में हुई है. जबकि इस मुद्रा, जिसका इस्तेमाल पूर्व ब्रिटिश राज के बॉम्बे सर्कल में किया गया था, का मूल मूल्य 2.5 लाख रुपये रखा गया. भारतीय मुद्रा के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने वाले इस नोट की कीमत ब्रिटिश काल में एक डॉलर के करीब थी.

timesofindia

ये नोट अनोखा है क्योंकि इसे छोटी संख्या में मुद्रित किया गया था और इसका उपयोग अल्पकालिक था. इस नोट को स्टॉपगैप व्यवस्था के रूप में जारी किया गया था क्योंकि अंग्रेज़ों को छोटी मुद्रा के टकसाल के सिक्के बनाने में चांदी की कमी हो रही थी और इस नोट से उस कमीको दूर करने की कोशिश की गई थी. टोडीवाला ऑक्शन हाउस जहां इस नीलामी का आयोजन किया गया था, के ओनर मैल्कम टोडीवाला के अनुसार, ‘सिक्कों की तुलना में नोट को संरक्षित करना कठिन होता है और यही उसको दुर्लभ बनाता है. नोटों के फटने और गलने का ख़तरा ज़्यादा होता है.’

उस काल में अंग्रेजों ने उपमहाद्वीप को सात मौद्रिक मंडलियों में विभाजित कर दिया था. ये मंडल इसलिए महत्वपूर्ण थे क्योंकि क्योंकि किसी विशेष मंडल से संबंधित नोटों और सिक्कों का आदान-प्रदान केवल उसी क्षेत्र के अंदर ही किया जा सकता था. और इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सभी नोटों और सिक्कों में उस मंडल को इंगित करने वाला एक कोड दिया गया था.

toi

ऐसा ही कोलकाता सर्कल से एक और आंशिक नोट नीलामी में ब्लॉक पर था. इस नीलामी का आयोजन Cuffe Parade स्थित World Trade Center में हुआ था, लेकिन इसकी किसी ने बोली ही नहीं लगाई या यूं कह लो कि ये बिका नहीं था उस टाइम. इस नोट की मूल कीमत 8 लाख रुपये थी. संग्राहक का कहना था कि कोलकाता सर्कल का ये नोट पुरानी मुद्राओं के डीलरों और कलेक्टरों के बीच वित्तीय बाधाओं के कारण नहीं बिका. वहीं 2015 में इसी बैच के ढाई रुपये का एक नोट अपनी मूल कीमत के 2.5 लाख रुपये के मुक़ाबले 6.4 लाख रुपये में बिका था.

toi

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक़, mintageworld.com के मुद्राविज्ञानविद (Numismatist), जयेश गाला ने कहा, ‘लगभग ढाई साल पहले, अगर नीलामी आयोजित की गई होती, तो इस लिस्ट का केवल 5-10% हिस्सा ही शेष रहता, लेकिन वर्तमान में इस तरह की एंटीक वस्तुओं की 30-40% सामान को कोई लेना नहीं चाहता है. इसकी मुख्य वजह GST, नोटबंदी और हाल ही में हुए घोटालों को माना जा रहा है.’ आपकी जानकारी के लिए बता दें कि mintageworld.com सिक्कों, मुद्रा नोट्स और टिकटों के लिए एक ऑनलाइन संग्रहालय और सह-डीलर है. इसके अलावा रविवार को हुई इस नीलामी में रविवार की नीलामी में स्वतंत्रता से पहले पांडिचेरी और गोवा में प्रचलित मुद्रा के री-1 इंडो-फ़्रांसिसी और इंडो-पुर्तगाली नोट भी शामिल थे. जिनकी नीलामी क्रमशः 50,000 और 25,000 रुपये में हुई.

गौर करने वाली बात ये है कि पुराने सिक्के या मुद्रा का मूल्य इसकी दुर्लभता और मांग से निर्धारित होता है. कलेक्टर दुर्लभ सिक्के और नोट्स को हासिल करने के लिए तब तक इच्छुक होते हैं, जब तक कि उनकी बोली गई कीमतों के आगे कोई और न बोले फिर वो उस दुर्लभ नोट को खरीद लेते हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे