102 साल के बुज़ुर्ग ने बनाया अपना सीवी, BJP MLA ने नकली स्वतंत्रता सेनानी होने का लगाया था आरोप

Abhay Sinha

नेता अक़्सर बयान देते हैं. ये अक़्सर इतना होता है कि उनके बयान किसी मुद्दे पर विमर्श कम विवाद का ज़रिया ज़्यादा बन जाते हैं. अब बन जाते हैं या बनाना चाहते हैं, वो अलग डिबेट है. मगर कर्नाटक के विजयपुरा से भाजपा विधायक बसवराज यत्नाल का दिया बयान एक 102 साल के बुज़ुर्ग को इतना आहत कर गया कि उन्होंने अपना पूरा ज़ीवन कुछ पन्नों में समेट दिया.

हम बात कर रहे हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनाना एचएस डोरेस्वामी की. भाजपा विधायक ने सीएए का विरोध करने पर एचएस डोसेस्वामी को नकली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पाक़ एजेंट कह दिया.

Indianexpress की रिपोर्ट के मुताबिक़, डोरेस्वामी अपने हाथ में कुछ कागज़ पकड़े थे. कागज़ों को देख़ते हुए कहते हैं कि ‘ मैं अपनी सीवी लिख़ रहा हूं.’

jansatta

दक्षिण बेंग्लुरु के अपने ग्राउंड फ़्लोर मक़ान की धीमी रोशनी में वो पूरे जीवन का सारांश सुनाते हैं. 1918 में अपने जन्म से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में भागीदारी तक और हालही में बेंगलुरु में झीलों को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए गए अभियान में उनकी भागीदारी तक की पूरी कहानी पढ़ने के बाद वो कहते हैं.

‘आप इसे पढ़िये और बताइये इसमें क्या कुछ एंटी-नेशनल है?’ 

बता दें, 102 साल के एचएस डेरेस्वामी कर्नाटक में सिविल सोसायटी आंदोलनों में दशकों से बेहत चर्चित चेहरा रहे हैं. विधायक बसवराज यत्नाल की उन पर टिप्पणी के बाद कर्नाटक विधानसभा में जमकर हंगामा भी हुआ था. हालांकि, कई भाजपा नेताओं ने भी बसवराज का बचाव किया. 

वहीं, इस पर एचएसट डोरेस्वामी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि, ‘ मैं 60 साल से सामाजिक जीवन में हूं. हमारी विचारधारा अलग है लेकिन आरएसएस और बीजेपी दोनों में ही मेरे दोस्त हैं. मैंने इस बात की कभी उम्मीद नहीं की थी कि पूरी बीजेपी इस तरह से मुझ पर हमला करेगी.’ 

हालांकि, डोरेस्वामी ने कहा कि वो पीएम मोदी के आलोचक हैं लेकिन. 

‘मैं सभी सरकारों की आलोचना की है. ये एक नागरिक का अधिकार है. आपातकाल के समय मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा था, आप लोकतंत्र के नाम पर देश चला रही हैं मगर व्यवहार आपका तनाशाहों जैसा है…. अगर ये जारी रहा तो मैं घर-घर जाकर लोगों को बताऊंगा कि आप एक तानाशाह हैं.’ नतीजतन डोरेस्वामी को चार महीने तक जेल में रहना पड़ा था, जब तक मजिस्ट्रेट ने ये कहते हुए केस रद्द नहीं कर दिया कि ‘अपने प्रधानमंत्री की आलोचना करने के लिए उनके पास सभी अधिकार है.’ 

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