चालान कटने का ऐसा ख़ौफ़ कि इन राज्यों ने ‘संशोधित मोटर अधिनियम’ लागू ही नहीं किया

Maahi

1 सितंबर से केंद्र सरकार द्वारा ‘संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट’ को देशभर में लागू कर दिया गया था. इसके तहत यातायात नियमों को तोड़ने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. यही लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन रहा है. 

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सरकार के इस फ़ैसले को लेकर लोगों के बीच काफ़ी नाराज़गी देखी जा रही है. वाहन चालकों की परेशानियों को देखते हुए 4 राज्यों बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश पहले ही इसे अपने यहां लागू करने से इंकार कर चुके हैं. इनमें से 2 भाजपा शासित जबकि दो गैर भाजपा शासित राज्य हैं.   

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हालांकि, केंद्र सरकार ने राज्यों को छूट दी हुई है कि वो ‘संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट’ को लागू करने करने या न करने अथवा इसमें जुर्माने के प्रावधानों पर फ़ैसला ले सकते हैं. 

‘संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट’ लागू न करने के पीछे इन राज्यों के अपने-अपने तर्क हैं. इसका मतलब ये हुआ कि इन 4 राज्यों के वाहन चालकों को यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर अब भी पुराना जुर्माना ही देना होगा. 

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वाहन चालकों को हो रही दिक्कतों के चलते अब गैर भाजपा और भाजपा शासित कुल 11 राज्यों ने केंद्र सरकार के ‘संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट’ के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. 

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इनमें सबसे पहला नाम है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात का. जुर्माने की राशि में कटौती करने वाला गुजरात पहला राज्य है. इसके बाद भाजपा शासित उत्तराखंड ने भी जुर्माने की रकम घटा दी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी राज्य के अधिकारियों को गुजरात की तर्ज़ पर जुर्माना घटाने के आदेश दिए हैं. भाजपा शासित महाराष्ट्र भी इस ओर बढ़ने जा रही है. 

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ये राज्य हैं भारी-भरकम जुर्माने के ख़िलाफ़ 

1- गुजरात सरकार ने सबसे पहले नियमों में बदलाव कर जुर्माना राशि घटाई थी. सरकार का मानना है कि जुर्माने की राशी काफ़ी ज़्यादा है. कई मामलों में ये आधी तो कुछ मामलों में 90% तक कम की गई है. 

2- पश्चिम बंगाल की मुख़्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘संशोधित मोटर वाहन कानून’ लागू करने से इनकार कर दिया है. ममता ने इसे लागू न करने के पीछे दलील दी कि इससे लोगों पर बोझ पड़ेगा. 

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3- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना था कि सड़क हादसों को रोकना और लोगों की जान की हिफ़ाजत हम भी चाहते हैं. मंदी के इस दौर में ये भी देखना होगा कि जुर्माना लोगों की क्षमता के अनुरूप हो. केंद्र सरकार जुर्माने की राशि पर पुनर्विचार करे और लोगों को राहत प्रदान करे. हम भी इसका अध्ययन करवा रहे हैं.

4- राजस्थान सरकार ने संशोधित कानून के 33 प्रावधानों में से 17 में बदलाव कर जुर्माना राशि कम करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसके अंतर्गत जुर्माने में 50% तक की कटौती की गई है. 

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5- ओडिशा के मुख़्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था कि इसके लिए लोगों को 3 महीने का वक्त देना चाहिए. तब तक नाकों पर दोपहिया चालको को हेलमेट देकर जागरूक किया जा रहा है. 

6- दिल्ली सरकार भी मौके पर चुकाए जाने वाले जुर्माने को लेकर सभी पक्षों के साथ विचार कर रही है. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दूसरे राज्यों की प्रतिक्रिया देखकर ही फ़ैसला लिया जायेगा. 

वाहन चालकों को सेफ़्टी के लिए चालान भरने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए.  

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