दिल्ली के Consumer कोर्ट ने 12 साल लम्बी क़ानूनी जंग के बाद मनन जैन के हक़ में फ़ैसला सुनाया है. ये जंग थी एक कार कम्पनी से, जिससे मनन ने एक कार खरीदी थी, जो डिफ़ेक्टिव निकली. मनन ने कार कम्पनी से कार ठीक करने को कहा, पर उनकी अर्ज़ी ठुकरा दी गयी थी.
कोर्ट ने कम्पनी से मनन को हुए मानसिक कष्ट के लिए 80,000 रुपये देने के लिए कहा है. जैन ने परेशान होकर कार शोरूम में छोड़ दी थी और कम्पनी से रिफंड या कार रिप्लेसमेंट करने के लिए कहा.
जैन ने Tata Indigo Marina LS, 2004 में 4,79,972 रुपये में ख़रीदी थी. इस कार पर 18 महीने की वारंटी थी. जैन के मुताबिक़ कार में माइलेज की समस्या थी. कार का पिक-अप लो था और क्लच भी ख़राब था. इसके अलावा भी गाड़ी में कई समस्याएं थीं.
उन्हें एक साल में ही 10-12 बार गाड़ी को रिपेयर करानी पड़ी थी. जबकि कम्पनी के वकील का कहना था कि जैन ने कम्पनी से छुपाया था कि गाड़ी का एक बार एक्सीडेंट भी हुआ है. कार रिपेयर होने के बाद भी वो उसे शोरूम से लेने नहीं आये थे. उसलिये उन्हें मुआवज़ा नहीं मिलना चाहिए.
कोर्ट ने कंपनी से कार को ठीक कर के तीस दिन के अन्दर जैन को लौटाने को कहा है. ऐसे फ़ैसलों से ग्राहकों का कोर्ट पर भरोसा बना रहता है. इसलिए हम इसकी सराहना करते हैं. मनन जैन की भी इसके लिए तारीफ़ होनी चाहिए कि उन्होंने इंसाफ़ के लिए अंत तक लड़ाई की.