भारत सरकार ने वन्यजीवों और इसके डेरिवेटिव में अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को रोकने के लिए 1972 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम बनाया. लेकिन, अभी भी देश भर के कई शहरों में जानवरों का अवैध शिकार हो रहा है. एक तरफ़ वो इंसान हैं, जो इन जंगली जानवरों को मारने पर आमादा हैं, तो दूसरी ओर ऐसे भी शख़्स हैं जिन्हें बचाने के लिए ख़ुद की जान की भी परवाह नहीं करते.
राजस्थान के जोधपुर के बालेसर गांव का रहने वाला 15 साल का मुकेश बिश्नोई उनमें से ही एक है, जो अपने गांव के आसपास के वन्यजीवों को बचाने के लिए असलहों से लैस शिकारियों से लोहा लेने में भी नहीं हिचकते.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़, 10 मई की रात को जब मुकेश बाहर था, तब उसने गोली चलने की आवाज सुनी. उसे शक हुआ तो वो अपने दोस्त को लेकर बाइक से गोली की आवाज की तरफ़ बढ़ गया. मौके पर पहुंचकर उसने देखा कि 4 शिकारी असलहों के साथ वहां खड़े हैं. शिकारियों ने एक चिंकारा का शिकार किया था.
ऐसे समय भी मुकेश डरा नहीं बल्क़ि 10वीं के इस छात्र ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर उन शिकारियों का सामना किया. मुकेश ने एक शिकारी को पकड़ लिया. उन लोगों में कुछ देर तक भिड़ंत चलती रही. मुकेश ने एक शिकारी की बंदूक छीन ली. हालांकि, शिकारी अपनी बंदूक छोड़कर वहां से भागने में कामयाब रहे, साथ ही वो मृत चिंकारा को भी साथ ले गए.
मुकेश का ये बहादुरी का क़िस्सा ट्विटर पर शेयर किया गया.
सोशल मीडिया पर मुकेश की कहानी आते ही वायरल हो गई. लोग जमकर मुकेश और उसके दोस्तों की हिम्मत की तारीफ़ कर रहे हैं. वन्यजीवों को बचाने के लिए जिस तरह की बहादुरी का परिचय मुकेश ने दिया है, उसकी हर कोई सराहना कर रहा है.
बता दें, मुकेश जिस बिश्नोई समाज से ताल्लुक रखते हैं, इस समाज के लोग जंगली जानवर और पेड़ों के लिए हमेशा से समर्पित रहे हैं. वन्यजीवों और पर्यावरण को बचाने के लिए ये अपनी जान तक की फ़िक्र नहीं करते हैं. मुकेश और उनके दोस्तों ने भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है.