पिछले कुछ समय से दुनिया भर के लाखों छात्र जलवायु परिवर्तन को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन ने अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है.
दरअसल, इस विश्व व्यापी आंदोलन की शुरुआत करने का श्रेय 16 साल की एक स्वीडिश लड़की ग्रेटा थनबर्ग को जाता है. ग्रेटा के नेतृत्व में आज पूरी दुनिया के छात्रों ने जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. इस विश्व व्यापी आंदोलन का नाम ‘Fridays for Future’ है.
20 सितंबर यानि कि आज दुनियाभर के लाखों छात्रों ने एक दिन स्कूल न जाकर पर्यावरण हित में काम करने का फ़ैसला किया है. इस आंदोलन को समर्थन न करने पर ग्रेटा ट्रंप सरीखे दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं को खरी-खोटी सुना चुकी हैं.
आइए जानते हैं कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग?
ग्रेटा थनबर्ग का जन्म साल 2003 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था. ग्रेटा 10वीं की छात्रा हैं. उनकी मां Malena Ernman स्वीडन की जानी मानी ओपेरा सिंगर हैं. जबकि पिता Svante Thunberg प्रसिद्ध स्वीडिश अभिनेता हैं.
कुछ ऐसे की थी ग्रेटा ने शुरुआत
जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ रहीं ग्रेटा ने इसकी शुरुआत सबसे पहले अपने घर से ही की थी. इस दौरान उन्होंने अपने माता-पिता को अपनी जीवनशैली बदलने के लिए प्रेरित किया. करीब दो सालों तक उन्होंने अपने घर के माहौल को बदलने का काम किया. उनके माता-पिता ने मांस का सेवन छोड़ दिया और जानवर के अंगों के इस्तेमाल से बनी चीजों से भी परहेज़ करना शुरू कर दिया. विमान से यात्राएं भी बंद कर दीं क्योंकि इन चीजों से अत्यधिक मात्रा में कार्बन उत्सर्जन होता है.
साल 2018, स्वीडन में 262 सालों की सबसे भयंकर गर्मी पड़ी. गर्मी से लोगों का हाल बेहाल था. इस दौरान स्वीडन के जंगलों में लगी आग से पर्यावरण में प्रदूषण फ़ैल चुका था. 9 सितंबर 2018 को स्वीडन में आम चुनाव भी थे. ग्रेटा उस वक़्त नौवीं क्लास में पढ़ती थीं. इस दौरान उन्होंने आम चुनाव के समाप्त होने तक स्कूल नहीं जाने का फ़ैसला किया.
फिर लड़ी जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ जंग
20 अगस्त 2018 को ग्रेटा ने जलवायु के ख़िलाफ़ जंग शुरू कर दी. पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन को लेकर उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ स्वीडन की संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इस दौरान ग्रेटा ने रोजाना तीन हफ़्ते तक स्वीडन की संसद के बाहर प्रधर्शन किया. जलवायु परिवर्तन को लेकर उन्होंने लोगों को पर्चियां भी बांटीं.
पर्चियों में लिखा होता था, ‘मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि आप वयस्क लोग मेरे भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं’.
दुनिया में फैल गया उनका आंदोलन
इसके बाद ग्रेटा ने इस मुहिम को सोशल मीडिया के ज़रिये पूरी दुनिया में फ़ैलाने का फ़ैसला किया. ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम के ज़रिये आंदोलन की तस्वीरें पोस्ट कीं तो लोगों से उन्हें समर्थन मिलने लगा. देखते ही देखते उनकी ये मुहिम पूरी दुनिया में फ़ैल गयी और ग्रेटा जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बन गईं.
इसके बाद दुनिया भर के स्कूली छात्रों ने ग्रेटा के इस आंदोलन से प्रभावित होकर इसे ‘ग्रेटा थनबर्ग इफ़ेक्ट’ नाम दिया. इसी साल फ़रवरी में 224 शिक्षाविदों ने उनके समर्थन में एक ओपन लेटर पर हस्ताक्षर भी किए थे. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरिस ने भी उनके स्कूली आंदोलन की सराहना की थी. इसके बाद ग्रेटा को पूरी दुनिया जानने लगी.
ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन जहाज से भरतीं हैं उड़ान
अगस्त 2019 में ग्रेटा यूके से यूएस एक ऐसे जहाज में गईं जिसमें सोलर पैनल और अंडरवॉटर टर्बाइन लगे हुए थे. इस जहाज से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा ज़ीरो थी. 15 दिनों तक चली इस यात्रा में उन्होंने न्यू यॉर्क में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लिया था.
ट्रंप को दिया था मुहतोड़ जवाब
ग्रेटा पिछले महीने अमेरिका पहुंची थीं. इस दौरान एक रिपोर्टर ने उनसे ट्रंप से मिलने के बारे में पूछा तो इस पर ग्रेटा ने कहा ‘जब ट्रंप मेरी बातों को बिल्कुल भी सुनने के पक्ष में नहीं हैं तो मैं उनसे बात करके अपना समय बर्बाद क्यों करूं?
दिसंबर 2018 में ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को संबोधित कर दुनियाभर के लीडरों को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई थी. इस दौरान उन्होंने लीडरों को ‘गैरजिम्मेदार बच्चे’ तक कह दिया था. जबकि इसी साल जनवरी में दावोस सम्मेलन में भी ग्रेटा ने बिजनस लीडरों को ख़ूब खरी-खरी सुनाई थी.